बंदर की दुकान ( बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में)-2
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2.सबसे पहले चूहा आया
बंदर को आ शीश झुकाया
मिलेगा बिल क्या बना-बनाया
अंदर से हो सजा सजाया
जिसमें भरे हुए हों दाने
हमें तो बस खाने ही खाने
बोला बंदर चूहे भाई
ऐसी बिल तो अभी न आई
आर्डर पे मंगवा दूंगा
आते ही तुम्हें इतला दूंगा
यूं कह चूहे को टरकाया
मन ही मन बंदर मुस्काया
2. बंदर की दुकान पर सबसे पहले चूहा आया, आकर उसने बंदर को शीश झुकाया और बोला :-
बंदर भाई , बंदर भाई क्या ऐसा बना बनाया बिल मिलेगा जिसके अंदर दाने भरे हों और मैं बस उसे आराम से बैठ कर खाता रहूं।
बंदर चूहे की बात सुन कर मन ही मन मुस्काने लगा लेकिन फिर चूहे से बोला:-
नहीं चूहे भाई, अभी तक ऐसी बिल मैं नहीं लाया हूं।
तुम्हें चाहिए तो मैं उसे आर्डर पे मंगवा दूंगा और जैसे ही आ जाएगी मै तुम्हें संदेशा भेज दूंगा।
यूं बंदर मामा ने चूहे को टरका दिया।
तीसरा भाग

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6 पाठकों का कहना है :
मजेदार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
बहुत रोचक है अगली पोस्ट का इन्तज़ार रहेगा बधाई
वाह!! क्या खूब.. आगे देखते है क्या होता है.........
सबसे पहले चूहा आया
बंदर को आ शीश झुकाया
मिलेगा बिल क्या बना-बनाया
अंदर से हो सजा सजाया
जिसमें भरे हुए हों दाने
हमें तो बस खाने ही खाने
बोला बंदर चूहे भाई
ऐसी बिल तो अभी न आई
आर्डर पे मंगवा दूंगा
आते ही तुम्हें इतला दूंगा
यूं कह चूहे को टरकाया
मन ही मन बंदर मुस्काया
मज़ेदार और सुन्दर.
Shirshak majedar hai. Upanyas padhne mein maja aa raha hai. aage kya hai,ki utsukta bani rehti hai. Jaandar kahaani aur kavita hai.
Manju Gupta.
choohe ko bhi aaram soojh raha hai ,chaliye aage dekhen hota hai kya ?????
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