Friday, July 11, 2008

डा. जगदीश चंद्र बसु

तीस नवंबर सन अठावन
ढ़ाका जिले का गांव मेमन ।
एक सौ पचास बीते वर्ष
बसु परिवार में फैला हर्ष ।

बालक जन्मा था मेधावी
था महान वैज्ञानिक भावी ।
जगदीश चंद्र का नाम मिला
ग्राम पाठशाला फूल खिला ।

किसान, मछेरे दोस्त बनते
पेड़ पौधों की बात करते ।
कोलकता का सेंट जेवियर
कालेज में विज्ञान कैरियर ।

उच्च शिक्षा विज्ञान पायी
नई खोजों में रुचि बनायी ।
पूरी कर पढ़ाई इंग्लैंड
वह लौटे अपनी मदरलैंड ।

नियत हुए प्रोफेसर पद पर
प्रेसीडेंसी कालेज चुनकर ।
अंग्रेजों का देश में राज
नियम उन्ही के उनके नाज ।

अंग्रजों से आधा वेतन
ठान लिया मैं क्यों लूँ वेतन ।
स्वाभिमान के धनी बहुत थे
अपनी जिद पर अड़े रहे थे ।

तीन वर्ष तक लिया न वेतन
कठिनाई से बीता जीवन ।
झुकना पड़ा कालेज को तब
बसु ने पाया मान सहित सब ।

प्रथम विज्ञान यंत्र बनाया
गवर्नर को प्रयोग दिखाया ।
'रेडियो वेव' पार कराई
दूर रखी घंटी बजाई ।

विज्ञान बना उनका जीवन
मार्ग कर्म, धैर्य, साहस लगन ।
धातुओं पर की कई खोजें
पेड़ पौधों में प्राण खोजे ।

पौधों में विद्युत प्रवाह कर
कंपन, कष्ट, मृत्यु अंकित कर ।
हुए अचंभित सभी देखकर
बसु बने 'पूर्व के जादूगर' ।

वैज्ञानिक पहला भारत का
गूंजा विश्व में नाम उसका ।
बसु विज्ञान मंदिर बनाया
भाषा सरल ज्ञान फैलाया ।

कवि कुलवंत सिंह


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5 पाठकों का कहना है :

BRAHMA NATH TRIPATHI का कहना है कि -

अच्छा जीवन परिचय लिखा है आपने जगदीश चंद्र बासु जी का अपने काव्यात्मक रूप में

बहुत ही अच्छा बधाई

Kavi Kulwant का कहना है कि -

Thank you Tripathi ji..

Anonymous का कहना है कि -

बहुत ही अच्छी शुरुआत करी है आपने कुलवंत जी.कृपया इस कड़ी को आगे बढाइये.
आलोक सिंह "साहिल"

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

kavita ke bahaane achchhee jaankari di gayi hai.

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

डा. जगदीश चन्द्र बसु का काव्यात्मक परिचय बहुत बढिया...

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