आओ सुनाऊँ एक कहानी
बचपन में सुनते थे कहानी,
कभी सुनाते दादा-दादी,
कभी सुनाते नाना-नानी
होती थी कुछ यही कहानी
एक था राजा, एक थी रानी
दोनों मर गये ख़त्म कहानी
आज सुनो तुम मेरी ज़ुबानी
न कोई राजा, न कोई रानी
एक है भाई, एक है बहना
दोनों का मिलजुल कर रहना
भाई तो है छोटा बच्चा
और अभी है अकल में कच्चा
बहना भी है गुड़िया रानी
पर वो तो है बड़ी सयानी
माँ की ममता मिली नहीं है
बाप के पास भी वक़्त नहीं है
घर में सारी ऐशो-इशरत
आगे-पीछे नौकर-चाकर
दोनों प्यारे-प्यारे बच्चे
नन्हे से पर दिल के सच्चे
दोनों ही बस प्यार से रहते
सुख-दुख इक दूजे से कहते
इक दिन भाई बोला-बहना!
सुनो ध्यान से मेरा कहना
आज अगर अपनी माँ होती
हमें घुमाने को ले जाती
चलो कहीं पर घूम के आएँ
हम भी अपना दिल बहलाएँ
गुड़िया रानी बड़ी सयानी
समझ गई वह सारी कहानी
बोली तुम न जा पायोगे
चलते-चलते थक जायोगे
ऊपर से तो धूप भी होगी
चलोगे कैसे गर्मी होगी?
सुन कर भाई निराश हो गया
और जाकर चुपचाप सो गया
गुड़िया ने तरकीब लगाई
जिससे खुश हो जाए भाई
उनकी थी एक खिलौना गाड़ी
करते थे वो जिसपे सवारी
क्यों न उस पर भाई को बैठाए
और घुमाने को ले जाए
उस पर एक लगाया छाता
गुड़िया को तो सब कुछ आता
भाई को उसने जा के जगाया
और गाड़ी पर उसे बैठाया
निकल पड़ी वो लेकर गाड़ी
गुड़िया रानी नहीं अनाड़ी
भाई को पूरा शहर घुमाया
बहन ने माँ का दर्जा पाया
ख़त्म हो गई मेरी कहानी
ऐसी है वो गुड़िया रानी।
-सीमा सचदेव
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4 पाठकों का कहना है :
बड़ी बहन माँ के समान होती है
इस कहावत को इस कविता के माध्यम से आपने सच कर दिया
बहुत बहुत बधाई
सीमा जी बहुत ही अच्छी बात आपने कही है.
बहुत अच्छे
आलोक सिंह "साहिल"
Bahut sundar kahani hai.
सुन्दर बाल-कहानी कविता के रूप में..
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