दीपावली विशेषांक भाग-३
आप खुशनसीब बच्चे हैं कि अपने मातापिता के साथ और नये-नये कपड़े पहन कर नाच-गा रहे हैं और यह उत्सव मना रहे हैं। लेकिन दुनिया में हर कोई आप की तरह खुश-नसीब नहीं। बहुत से ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता इस दुनिया में नहीं हैं, कई ऐसे बच्चे हैं जिनके माता-पिता ही पैसों के लिये उन्हें बेच देते हैं और कई ऐसे बच्चे भी हैं जो होटलों और गैराजों में काम कर के या भीख माँग कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। इन बच्चों का मन भी तो होता होगा आपकी तरह ही खेलने-कूदने का, नये-नये कपड़े पहन कर दीपावली मनाने का? हमारे देश की यह बेहद दर्दनाक सच्चाई है।
बच्चों हमें अपने पूर्व राष्ट्रपति चाचा कलाम की बात याद रखनी है कि हमेशा बड़े सपने देखने चाहिये। और उन बड़े-बड़े सपनों को पूरा करने के लिये छोटे-छोटे प्रयास भी करने चाहिये। बच्चों आपके ही हाथों में कल के भारत की तकदीर है और उसकी आप नयी तस्वीर गढ़ सकते हो। आप ही वह नया सवेरा ला सकते हो जिसमें भूख, गरीबी जैसे अभिशाप इस देश में न हों। लेकिन इसके लिये आपको अपने भीतर ही एक दीपावली मनाने की आवश्यकता है। सोचें कि आपके सपनों का भारत कैसा होना चाहिये और उसके लिये क्या किया जाना चाहिये।...और उस दिशा में आगे बढें, कल के भगत सिंह, सुभाष और गाँधी आपके ही भीतर हैं। इस दीपावली यह संकल्प लें।
राजीव रंजन प्रसाद
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
7 पाठकों का कहना है :
Chhoti panktiyo me badi baat ..
बहुत बढ़िया, प्रेरक विशेषांक भाग.
bahut achhe rajiv ji aapki bhaavnaao ko koti koti salaam
बहुत हीं प्रेरणादायक संदेश।
नैतिक शिक्षा देने का यह अंदाज़ भी अच्छा है।
राजीव जी
बहुत ही बढ़िया बात कही है । आशा है हमारे बच्चे इससे प्रेरणा लेंगें । महापुरूषों का आदर्श बच्चों को देने की बहुत आवश्यकता है । ऐसी शैली में लिखी रचना की प्रतीक्षा रहेगी । सस्नेह
बहुत प्रेरक विशेषांक ...
बधाई
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)