बन्दर ,चूहे और बिल्ली
शान से आए बन्दर मामा
ढीला ढाला पहन पजामा
टोपी और कुर्ता भी पहना
बन्दरिया ने पहना गहना
निकले दोनो बींच बजार
मिल गए उनको चूहे चार
हँस कर करने लगे वो बातें
बन्दरिया कीउड़ गई रातें
बन्दर भी मन मे पछताया
क्यों वो बन्दरिया को लाया
गया वो बिल्ली बहन के पास
बोला बहना हूँ उदास
उसको सारी बात बताई
बिल्ली भी गुस्से मे आई
गई वो भाई के संग बजार
खड़े हुए थे चूहे चार
जब तक वो कोई बात समझते
बिल्ली बन्दर उन पर झपटे
उन चारों को मार गिराया
और फिर बड़े मजे से
*******************************
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
2 पाठकों का कहना है :
प्यारी सी कविता।
मज़ा आया पढ़कर। छोटे बच्चों को सुनाया जाये तो वे बहुत खुश होंगे।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)