नेक बनें इंसान
इक दूजे से प्यार ।
कभी न हो तकरार ।
ले हाथों में हाथ ।
कदम बढें इक साथ ।
इक आंगन के फूल ।
करें न कोई भूल ।
कभी न दो संताप ।
बढ़ता खूब प्रताप ।
पथ प्रगति हो धाम ।
करें देश का नाम ।
रखें सद्व्यवहार ।
अपना हो संसार ।
दूर रहे अभिमान ।
करें बड़ों का मान ।
सीख ज्ञान विज्ञान ।
कर्म करें महान ।
सत्य न्याय की धार ।
यही बनें हथियार ।
देश भक्ति हो राह ।
मर मिटने की चाह ।
ईश्वर दो वरदान ।
नेक बनें इंसान ।
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6 पाठकों का कहना है :
kavita behad hi saral ,sahaj aur pravabhi bhi hai ,aise hi baal udyaan ko samradh karte rahiye .
nirantar aisi hi kavitaaon ki apekshaa hai aapse .hindi me type n kar paane ke liye chhama chaahti hoon
सरल शब्दों में सटीक बात कहना आप बहुत अच्छी तरह जानते है! अच्छी रचना बहुत-बहुत बधाई!
बहुत बढ़िया
सुन्दर.....
Thanks friends!
आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल'
संजिव्सलिल.ब्लोग्स्पोय.कॉम / संजिव्सलिल.ब्लॉग.सीओ.इन
सलिल.संजीव@जीमेल.com
बना रहे हैं शीलवंत, कुलवंत सभी को
स्वर्ग बना पाएंगे हम मिल शीघ्र जमीं को.
भाईचारा हो आपस में नेह प्रेम हो
पाठ आदती कविता सबका कुशल-क्षेम हो.
साधुवाद स्वीकारें कविता मन को भाई
अच्छी कविता लिखी, सलिल की बहुत बधाई.
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