राजा की वज़ीर- 3
दूसरे भाग से भाग
भाग-3
अगली सुबह ही राजा ने अपने सिपाहियों को पानी वाली औरत के पास भेजे और राज-दरबार में उसे बुलाया। जैसे ही वह औरत राजा के सामने पहुँची तो सामने राजा के रूप में अजनबी को देख कर अवाक रह गई। कल वाली सारी घटना उसके दिमाग में घूमने लगी-
अरे! यह तो वही अजनबी है जिसको मैंने कल कुएँ पर पानी पिलाया था और उसी के सामने न जाने राजा के बारे में कितना बुरा भला भी कहा था। अवश्य ही मुझे मेरी बात पर राजा द्वारा दण्ड दिया जाएगा। मन ही मन वह विचारने लगी।
राजा ने उसे देखते ही पूछा-
"क्या तुम हमें पहचानती हो?"
"जी महाराज" ( औरत हाथ जोड़कर सिर झुकाए खड़ी थी )
"तुमने कितनी बार हमें देखा है"?
"जी एक बार" ( औरत कंप-कंपाती हुई आवाज में बोली )
"क्या तुम जानती हो कि हमने तुम्हें दरबार में क्यों बुलाया है"?
"जी महाराज।"
"क्या तुम मानती हो कि तुमने कोई अपराध किया है"?
"जी महाराज"
"तो तुम यह भी मानती हो कि तुम्हें उस अपराध का दण्ड मिलना चाहिए"?
"जी नहीं महाराज"।
"क्यों? जब अपराध किया है तो उसका दण्ड तो अवश्य भुगतना पड़ेगा"।
महाराज! मैंने हुजूर के खिलाफ़ बोलने की गुस्ताखी अवश्य की है लेकिन ऐसा कुछ गलत नहीं कहा जिसके लिए मुझे दण्डित किया जाए। (औरत ने पूरे आत्म-विश्वास के साथ कहा) अगर आप एक सच्ची बात को मेरा अपराध मानते हैं तो मैं उसके लिए कोई क्षमा नहीं मागूँगी और आप मुझे जो सजा देंगे वो मुझे मंजूर होगी"।
"एक बार सोच लो, हम तुम्हें जो सजा देंगे तुम्हें भुगतनी पड़ेगी।"
"सोच लिया महाराज"।
"तो तुम्हारे अपराध दण्ड स्वरूप हम तुम्हें अपना वजीर घोषित करते हैं। आज से तुम हमारे राज्य कार्य में हमारा साथ दोगी। हमारे राज्य को तुम जैसी नेक, बहादुर और सत्यवादी और निडर वजीर की आवश्यकता है। जिस राज्य में तुम जैसी औरतें हैं उस राज्य की उन्नति में कोई भी बाधा आड़े नहीं आ सकती।"
औरत यह सुन कर हैरान थी और उसने राजा की दी हुई सजा को हँसकर स्वीकार कर लिया।
********
समाप्त
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
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बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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2 पाठकों का कहना है :
बाल कहानी का संदेश प्रेरणाप्रद है .मेहनत ,ईमानदारी और बुद्धिमानी से जीवन में सफलता ,ऊँचाईयाँ पा सकते हैं .बहुत बधाई .
बहुत ही बढ़िया कहानी. कहानी का अंत शिक्षाप्रद है.
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