Sunday, September 20, 2009

प्रेमचंद की बूढ़ी काकी और बाल-चित्रकारी

बच्चो,

आज हम आपको सुनवाने जा रहे हैं एक खास कहानी। इस कहानी को लिखा है मशहूर उपन्यासकार मुंशी प्रेमचंद। कहानी को अपनी आवाज़ दी है नीलम आंटी ने। कहानी का शीर्षक है 'बूढ़ी काकी'। यह कहानी हमें बड़ों का सम्मान करने की सीख देती है। इसी विषय पर पाखी मिश्रा ने चित्र भी बनाया है। हमें उम्मीद है कि आप पसंद करेंगे।

सुनें-





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7 पाठकों का कहना है :

M VERMA का कहना है कि -

बूढी काकी फिर से जीवंत हो उठी
शानदार चित्र

Shamikh Faraz का कहना है कि -

प्रेमचंद जी की सिर्फ यही नहीं हर कहानी कुछ न कुछ सीख देती है. बहुत ही मश्ह्होर कहानी यह. नीलम जी की आवाज़ के भी क्या कहने.

Manju Gupta का कहना है कि -

कहानी सुनाने , सुरीली ,मधुर आवाज के लिए नीलम जी और उत्कृष्ट चित्र के लिए कलाकार पाखी जी को हार्दिक बधाई .

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

बहुत ही अच्छी कहानी और उससे मैचिंग चित्र भी. मुझे तो आज ही पाखी की इस नयी प्रतिभा के बारे में पता लगा की वह इतनी अच्छी चित्रकार भी हैं. क्या कहने! धन्यबाद नीलम जी, और पाखी को ढेर सारा प्यार.

Disha का कहना है कि -

बहुत ही सुन्दर चित्रकारी है.
प्रेमचन्द जी एक ऐसे साहित्यकार रहे हैं जिन्होने जिन्दगी से जुड़े हर पहलू पर लिखा है और हर रंग को इतनी मार्मिकता से उभारा है कि हर किसी को अपनी जिन्दगी का कोई हिस्सा सा ही लगता है.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

पाखी ने बहुत ही सुन्दर चित्र बनाया. क्या कहने चित्र के

Pooja Anil का कहना है कि -

नीलम जी ,
आपकी आवाज़ में प्रेमचन्द जी की लेखनी जीवंत हो उठी है, बहुत बढ़िया कथा पाठ किया है आपने.

पाखी की चित्रकला कहानी को साक्षात रेखांकित कर रही है.
आप दोनों को हमारी बधाई और शुभकामनाएं.

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