दो एकम दो दो दूनी चार
दो एकम दो
दो दूनी चार
जल्दी से आ जाता
फिर से सोमवार ।
दो तीए छ:
दो चौके आठ
याद करो अच्छे से
अपना-अपना पाठ ।
दो पंजे दस
दो छेके बारह
आओ मिल कर बने
एक और एक ग्यारह
दो सत्ते चौदह
दो अटठे सोलह,
जिद नहीं करना
बेकार नहीं रोना
दो नामे अट्ठारह,
दो दस्से बीस,
करना अच्छे काम,
देंगें मात-पिता आशीष ।
--डॉ॰ अनिल चड्डा
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4 पाठकों का कहना है :
Tool box kam nhin kar raha.pahaade yaad kara diye. badhayie.
धन्यवाद, मंजूजी !
अनिल जी,
बच्चों को पहाडे सिखाने का यह कितना बढ़िया तरीका है कविता के रूप में. बधाई.
चड्डा जी ने न सिर्फ पहाडे सिखाये बल्कि हर एक में सीख भी दी है. बधाई.
दो एकम दो
दो दूनी चार
जल्दी से आ जाता
फिर से सोमवार ।
दो तीए छ:
दो चौके आठ
याद करो अच्छे से
अपना-अपना पाठ ।
दो पंजे दस
दो छेके बारह
आओ मिल कर बने
एक और एक ग्यारह
दो सत्ते चौदह
दो अटठे सोलह,
जिद नहीं करना
बेकार नहीं रोना
दो नामे अट्ठारह,
दो दस्से बीस,
करना अच्छे काम,
देंगें मात-पिता आशीष
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