Wednesday, September 30, 2009

दो एकम दो दो दूनी चार



दो एकम दो
दो दूनी चार
जल्दी से आ जाता
फिर से सोमवार ।

दो तीए छ:
दो चौके आठ
याद करो अच्छे से
अपना-अपना पाठ ।

दो पंजे दस
दो छेके बारह
आओ मिल कर बने
एक और एक ग्यारह

दो सत्ते चौदह
दो अटठे सोलह,
जिद नहीं करना
बेकार नहीं रोना

दो नामे अट्ठारह,
दो दस्से बीस,
करना अच्छे काम,
देंगें मात-पिता आशीष ।

--डॉ॰ अनिल चड्डा


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

4 पाठकों का कहना है :

Manju Gupta का कहना है कि -

Tool box kam nhin kar raha.pahaade yaad kara diye. badhayie.

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

धन्यवाद, मंजूजी !

Shanno Aggarwal का कहना है कि -

अनिल जी,
बच्चों को पहाडे सिखाने का यह कितना बढ़िया तरीका है कविता के रूप में. बधाई.

Shamikh Faraz का कहना है कि -

चड्डा जी ने न सिर्फ पहाडे सिखाये बल्कि हर एक में सीख भी दी है. बधाई.

दो एकम दो
दो दूनी चार
जल्दी से आ जाता
फिर से सोमवार ।

दो तीए छ:
दो चौके आठ
याद करो अच्छे से
अपना-अपना पाठ ।

दो पंजे दस
दो छेके बारह
आओ मिल कर बने
एक और एक ग्यारह

दो सत्ते चौदह
दो अटठे सोलह,
जिद नहीं करना
बेकार नहीं रोना

दो नामे अट्ठारह,
दो दस्से बीस,
करना अच्छे काम,
देंगें मात-पिता आशीष

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)