हितोपदेश 14- लोमडी और कौआ
नमस्कार प्यारे बच्चो
आपने मेरी इससे पहले बहुत सी हितोपदेश की कहानियां पढी लेकिन आज पढ़ने के साथ-साथ देखिए भी
लोमड़ी और कौआ
जंगल में थी लोमडी एक
दिखने में लगती थी नेक
मीठी-मीठी बातें करती
नहीं कभी वो किसी से डरती
वहीं पे रहता था इक कौआ
बडा ही बेवकूफ था भैया
मीठी बातों मे आ जाता
और फिर बाद में वो पछताता
मिला पनीर उसको इक बार
आया कौए को विचार
क्यों न वह वृक्ष पर जाए
बैठ वहां पर मजे से खाए
पनीर को अपने मुँह में दबाया
कौआ उसी वृक्ष पर आया
देखा लोमडी ने पनीर
हो गई वो बडी गम्भीर
भर गया उसके मुँह में पानी
मन ही मन में घडी कहानी
आई वह वृक्ष के पास
बोली तुम हो कौए खास
कितना मीठा तुम गाते हो
सबके मन को भा जाते हो
कितना सुन्दर तेरा रूप
तुम तो हो जंगल के भूप
सच्ची मेरी जानो बात
पास तेरे उत्तम सौगात
गाओ जब तुम मीठा गीत
लेते हो सबका मन जीत
समझ के मुझको अपनी बहना
मानलो मेरा भी इक कहना
प्यारा सा इक गीत सुनाओ
रसमय वातावरण बनाओ
सुनकर यह कौआ यूँ फूला
पनीर का टुकडा उसको भूला
लोमडी ने उसको भरमाया
मीठी बातों में वह आया
लगा वो अपना गीत सुनाने
कांव-कांव गाकर चिल्लाने
जैसे ही उसने मुँह खोला
कांव-कांव जैसे ही बोला
धरती पर आ गिरा पनीर
लोमडी जो थी बडी अधीर
झपट के उसने पनीर उठाया
पलक झपकते ही सब खाया
खा कर लोमडी हुई रवाना
कौआ गाता रह गया गाना
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पाठक का कहना है :
अरे वाह.....ये चित्र तो और भी अछे लगे ...बल्कि ये तो चलचित्र हैं.....
सीमा जी ,...अपनी कथा के हिसाब से आपका यह चयन बहुत ही कामयाब है....
आपको बहुत बहुत मुबारक हो.....रचना के अनुकूल चयन के लिए....
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