परोपकार
परहित जैसा धरम न कोई,
सब करते गुणगान ।
सब धर्मों में सार छिपा है,
सेवा यही महान ।
जिसने भी इसको अपनाया
चला ईश की राह ।
सत्य, अहिंसा, दया भावना,
इसी राह की चाह ।
धन वैभव का मोल नही कुछ,
किया न पर उपकार ।
ज्ञान, ध्यान की क्या है कीमत
किया न कुछ उपकार ।
जग में जीवन सफल उसी का
करता जो उपकार ।
मिलता प्रेम, प्रसिद्धि उसी को
जग करता सत्कार ।
मानवता है इसका गहना
क्षमा, न्याय आधार ।
सत्कर्मों की बहती धारा
प्रेमपूर्ण व्यवहार ।
कवि कुलवंत सिंह
 

-YAMINI.gif) आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं। क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं। बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ।
बच्चो,
प्यारी-प्यारी आवाज़ों सुनिए प्यारी-प्यारी कविताएँ और कहानियाँ। क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों? अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए। तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया। आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में। एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं। पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।


 बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
 
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4 पाठकों का कहना है :
कुलवंत जी,बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
परहित जैसा धरम न कोई,
सब करते गुणगान ।
सब धर्मों में सार छिपा है,
सेवा यही महान ।
परहित सरस धरम नाही भाई पर पीरा सम नहिं अधमाई
तुलसी दास जी की पंक्तियाँ याद आ गई | बधाई
जग में जीवन सफल उसी का
करता जो उपकार ।
मिलता प्रेम, प्रसिद्धि उसी को
जग करता सत्कार ।
सीमा जी ने जो लिखा है वही में भी सोच रही थी .
आप की कविता में सच्ची बात कही गई है और सुंदर तरीके से भी
सादर
रचना
वह शक्ति हमे दो दयनिधे
कर्तव्य मार्ग पर डट जावें
पर सेवा पर उपकार में हम
निज जीवन सफल बना जावें
छल-दम्भ द्वेष पाखंड झूठ
अन्याय से निशि-दिन दूर रहें
जीवन हो शुद्ध सरल अपना
सुचि-प्रेम सुधारस बरसावें...
स्कूल के वक्त की प्रार्थना याद दिला दी इस सुन्दर कविता ने कुलवंत जी..
बहुत हितोपदेशी व सुन्दर कविता हैं
बधाई
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