मीठी बोली
बोली में रस घोलना
सदा मधुर है बोलना
तोल मोल के बोलना
दिल के धागे खोलना
गांठ में बात बांध लो
बात न लौटे जान लो
मीठी वाणी फूल है
गुस्सा करना भूल है
सच इसका आधार है
प्रेम वचन शृंगार है
बोलो सबका हो भला
कर सके न कोई गिला
झूठ वचन इनकार हो
सच्चाई से प्यार हो
झूठ दुखों का मूल है
दिल में चुभता शूल है
कड़वा कभी न बोलना
बात को पहले तोलना
बोली है आराधना
सरस्वती की साधना
मीठी बोली सीख लो
लोगों के दिल जीत लो
कवि कुलवंत सिंह
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
5 पाठकों का कहना है :
बहुत सही लिखा है आपने ...
शिक्षाप्रद रचना।बधाई।
बोली है आराधना
सरस्वती की साधना
मीठी बोली सीख लो
लोगों के दिल जीत लो
सही बात लिखी है।
झूठ वचन इनकार हो
सच्चाई से प्यार हो
झूठ दुखों का मूल है
दिल में चुभता शूल है
कड़वा कभी न बोलना
bahut hi umda rachna hai ,bahut achchi aur sachchi seekh di hai aapne kavita ke maadhyam se
much dear friends.. for your lovely words.. since I was out of station.. so requested ranjana ji to post.. Thanks to Ranjana ji..
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)