हितोपदेश-10 बातूनी कछुआ
इक जंगल में एक तलाब
कछुआ उसमें एक जनाब
बगुले वहाँ पे आते अकसर
बैठते आकर वो तरु पर
कछुआ भी बाहर आ जाता
और फिर उनसे खूब बतियाता
बन गए दोस्त बगुले दो
अकसर वहाँ पे आते जो
तीनों मिलकर बातें करते
इधर-उधर में मस्ती करते
एक बार गर्मी का मौसम
गला सूखता था हरदम
ऊपर से न हुई बरसात
बिन पानी कैसे हो बात
सूख गया तालाब का पानी
खतरे में सबकी जिंदगानी
कछुआ बोला बगुले भैया
पार लगाओ मेरी नैया
यहाँ पे अब न रह पाऊँगा
बिन पानी के मर जाऊँगा
मौत के मुँह से मुझे बचाओ
किसी जगह पे और ले जाओ
पड़े सोच में बगुले बेचारे
कैसे ले जाएँ, मन में विचारे
सोच के इक तरकीब लगाई
बगुलों ने लकड़ी उठाई
लकड़ी को उन्होंने मुँह में दबाया
फिर कछुए को कह सुनाया
देखो इसको बीच में पकड़ो
अच्छी तरह दाँतों में जकड़ो
उड़ेंगे हम तुम्हें ऐसे लेकर
छोड़ेंगे नई जगह पे जाकर
पर इक बात का रखना ध्यान
नहीं खोलना अपनी जुबान
जरा सा भी जो मुँह खोलोगे
तो तुम जाकर नीचे गिरोगे
कछुए ने लकड़ी मुँह में दबाई
बगुलो ने उड़ान लगाई
पहुँचे जब ऊँचे आसमान
आया कछुए को एक ध्यान
बगुलों की नसीहत भूला
कहने को कुछ अपना मुँह खोला
गिर गया आकर धरती पर
गिरते ही कछुआ गया मर
अब कछुए को कौन समझाए
बातों ही में प्राण गँवाए
जो वो बातूनी न होता
तो वो ऐसे ही न मरता
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चित्रकार- मनु बेतख्खल्लुस
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6 पाठकों का कहना है :
mujhe ye kavita bahut achhi lagi our eski photo bhi bahut aachi hai
bahut aachi
'तलाब' ग़लत शब्द है, सही शब्द 'तालाब' है. हिन्दी में 'पर' लिखा जाता है 'पे' उर्दू या लोक भाषाओं में प्रयोग होता है. ऐसे प्रयोगों पर शालेय तथा महाविद्यालयीन परीक्षाओं में अंक कटे जाते हैं. बालगीतों में ग़लत भाषा सिखाना कितना ठीक है? इस दिशा में सजगता व सतर्कता जरूरी है. मनु जी ने सुंदर चित्र बनाया है उन्हें साधुवाद. सीमा जी श्रेष्ठ कवयित्री है उनसे कमजोर कविता की अपेक्षा नहीं होती.
आचार्य को प्रणाम ,
मनु का चित्र आपको इस लिए ठीक लगता है क्युंके आप को पेंटिंग का कम पता होगा...
अन्यथा कविता के सामने यह कुछ नहीं ........
पर यदि आपका प्रोत्साहन इसे ही रहा तो धीरे धीरे बच्चे सब सुधार लेंगे
नमन ..
सीमा जी कहानी को कविता में कैसे ढाला जाता है मैने आप से सीखा है यहाँ के बच्चों के लिए (जो हिन्दी सीखते हैं ) भी एसा कुछ किया जाए तो अच्छा रहेगा
मनु जी के चित्र बहुत सुंदर है
सादर
रचना
ये कहानी पहले भी सुनी है, पर कविता के रूप मे पहली बार सुनी
बहुत ही अच्छी लगी
सुमित भारद्वाज
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