Sunday, October 26, 2008

आओ इक दीप जलाते हैं



आओ इक दीप जलाते हैं।
अँधेरों को दूर भगाते हैं।
बम और पटाखों से डरी
दुनिया को सुखी बनाते हैं।
आओ इक दीप जलाते हैं।

साम्प्रदायिकता का राक्षस
आतंक फैला रहा है
कुत्सित विचारों का ज़हर
बढ़ता ही जा रहा है
इसे प्रभाव हीन बनाते हैं।
सद् भावनाएँ जगाते हैं

आओ इक दीप जलाते हैं
दुनिया को सुखी बनाते हैं।


मँहगाई रूपी सुरसा
बढ़ती ही जाती है
जन सामान्य की बुद्धि
भ्रमित हो जाती है
आओ इसका आकार घटाते हैं
अपनी शक्ति से इसे डराते हैं

आओ इक दीप जलाते हैं
दुनिया को सुखी बनाते हैं।


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8 पाठकों का कहना है :

जितेन्द़ भगत का कहना है कि -

सुंदर अभि‍व्‍यक्‍ति‍-
साम्प्रदायिकता का राक्षस
आतंक फैला रहा है
कुत्सित विचारों का ज़हर
बढ़ता ही जा रहा है
इसे प्रभाव हीन बनाते हैं।

Anonymous का कहना है कि -

shobha ji,
bahut hi sundar prastuti,bilkul prasangik.
ALOK SINGH "SAHIL"

Anonymous का कहना है कि -

आपको सपरिवार दीपावली व नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये

श्रीकांत पाराशर का कहना है कि -

Achhi bhavnayen, achhe sankalp vyakt kiye hain. kash har koi yahi soche aur kuchh karne ka prayas kare. Deep parva ki shubh kamnayen.

Dr. Ashok Kumar Mishra का कहना है कि -

दीपावली की शुभकामनाएं । दीपावली का पवॆ आपके जीवन में सुख समृिद्ध लाए । दीपक के प्रकाश की भांित जीवन में खुिशयों का आलोक फैले, यही मंगलकामना है । दीपावली पर मैने एक किवता िलखी है । समय हो तो उसे पढें और प्रितिक्रया भी दें-

Anonymous का कहना है कि -

बहुत खूब लिखा है सुंदर शब्दों में सच्ची बात
सादर
रचना

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

कसर बाकी रह गई। बाल-रचानाओं की तरह आपकी रचना सरल नहीं है।

Rajesh का कहना है कि -

साम्प्रदायिकता का राक्षस
आतंक फैला रहा है
कुत्सित विचारों का ज़हर
बढ़ता ही जा रहा है
इसे प्रभाव हीन बनाते हैं।
Shobhaji, aaj ka ekdam taaza, zahareela aur pechida sawal hai yah. Bahut hi sunder kalpana hai aap ki yahan per - "ISE PRABHAV-HEEN BANATE HAI" -
Aao hum sab saath mil kar is karya ke liye joot jaye......

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