Sunday, October 19, 2008

दादी जी की चिड़िया

रोज सवेरे उठकर दादी
हैं, छितराती दानों के कन,
दानों के कन छितराने पर
कर देती घंटी से टन-टन ...

घंटी की टन -टन सुनकर के
पहले काला कौआ आता ,
काँव-काँव कर जोर -जोर से
सब चिड़ियों को न्योता बुलाता |

तीन-चार गौरयाँ आतीं
पाँच-सात आते हैं तोते ,
और कबूतर के दो जोड़े
जिनके पर चितकबरे होते |

पीली आँख किल्ह्नता आता
तीतर आता, तीतरी आती
भूरे पर की सात बहिनिया
जो कच -कच कर शोर मचाती |

रह -रह इधर-उधर तक-तक कर
सब पंछी दाना खाते हैं,
जहां किसी की आहट पाई
झट सब-के-सब उड़ जाते हैं |

स्रोत -नीली चिड़िया (हरिवंश राय बच्चन )
प्रेषक -नीलम मिश्रा


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7 पाठकों का कहना है :

सीमा सचदेव का कहना है कि -

aisi pyaari si kavita ke liye bahut-bahut DHANYAVAAD Neelam ji

समयचक्र का कहना है कि -

rachana bahut sundar or pyaari lagi . padhakar mujhe apna bachapan yaad aa gaya . dhanyawad.

Anonymous का कहना है कि -

bahut hi sundar kavita.
ALOK SINGH "SAHIL"

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

किसी को भी अपना बचपन याद आ सकता है। नीलम जी, आप बच्चों के लिए बहुत अनमोल उपहार जुटाकर लाती हैं। साधुवाद

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बहुत प्यारी कविता नीलम जी...

तीन-चार गौरयाँ आतीं
पाँच-सात आते हैं तोते ,
और कबूतर के दो जोड़े
जिनके पर चितकबरे होते |

पीली आँख किल्ह्नता आता
तीतर आता, तीतरी आती
भूरे पर की सात बहिनिया
जो कच -कच कर शोर मचाती |

सुन्दर

Anonymous का कहना है कि -

aapki rachna adhbut hai .aapke andar ek bahut badi kavyitri chupi hai jise bahar aane ki aavashyakta hai.

neelam का कहना है कि -

humne upar bataaya hai ki ,kavita

harivanshraay ji ki hai,meri nahi .

kavita pasand karne ke liye shukriya

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