हँसी का गुल्ला..
पोते ने दादा जी को एक खिलौना दिखाया, दाम पूछने पर पोते ने बताया ५००रुपये का |
दादाजी (पोते से) : पता है, हमारे जमाने में हम ५०० रुपये में घर का सारा राशन, कपड़े, पुस्तकें, खिलौने सभी कुछ ले आते थे|
पोता (दादा जी से बड़ी मासूमियत से) बोला: दादा जी आप ऐसा इसलिए कर पाते थे क्योंकि आप के जमाने में तब C.C.T.V (Close Circuit TV) नही हुआ करते थे |
(रीडर्स डाइजेस्ट से साभार)
--नीलम मिश्रा

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
3 पाठकों का कहना है :
हा हा... आज कल के बच्चे.. :-)
vah!! kya masoomiat hai
:)
पीड़ी एडवांस्ड है :)
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)