हास्य बाल कविता: आओ बांध दूँ राखी (लेखक: जाकिर अली 'रजनीश')
बच्चों, रजनीश चच्चा रक्षाबंधन पर आपके लिये रची एक खूबसूरत कविता मुझे SMS के द्वारा भेजी है, आनन्द लीजिये -
बिल्ली बोली चूहा भय्या,
दे दो मुझको माफ़ी
आज पर्व है रक्षाबंधन,
आओ बांध दूँ राखी
दे दो मुझको माफ़ी
आज पर्व है रक्षाबंधन,
आओ बांध दूँ राखी
बोला चूहा हाथ जोड़कर,
ओ बहना अलबेली
तुम हो राजा भोज, और
मैं ठहरा गंगू तेली
ओ बहना अलबेली
तुम हो राजा भोज, और
मैं ठहरा गंगू तेली
राजा के मैं बनूँ बराबर
मेरी नहीं है इच्छा
घर जाने को सूर्पनखाजी
मांग रहा हूँ भिक्षा
मेरी नहीं है इच्छा
घर जाने को सूर्पनखाजी
मांग रहा हूँ भिक्षा
सुनकर के यह भड़क उठी
बिल्ली ने पंजा मारा
होशियार था चूहा लेकिन
हो गया नौ-दो-ग्यारा।
बिल्ली ने पंजा मारा
होशियार था चूहा लेकिन
हो गया नौ-दो-ग्यारा।
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11 पाठकों का कहना है :
बहुत बढ़िया कविता,
बेचारी बिल्ली राखी भी नहीं बांध पाई अपने भाई को, बिल्ली की दया आ रही है। :)
बच्चों के लिए एक नटखट कविता । इसे पढ़कर बड़ों को भी मज़ा आया ।
बच्चे तो निश्चित ही इसका आनन्द उठाएँगें । एक प्यारी प्रस्तुति के लिए
बधाई ।
बड़ी ही प्यारी कविता है। :)
बहुत खूब ,मज़ा आ गया
सरल शब्दों मे सुन्दर सी कविता के लिये बधाई
सच में रजनीश जी, आपकी प्रस्तुति शानदार है। जब मुझे पढ़कर इतना मज़ा आ रहा है तो बच्चे तो झूम उठेंगे। रजनीश जी बाल-उद्यान के मशाल धारक हैं जिनकी बालोपयोगी सामग्री रूपी मशाल हमारे अन्य बाल साहित्य सृजकों को प्रेरित करेगी। आपका हार्दिक स्वागत।
रजनीश जी, आपके परिचय पढ़ने के बाद आपसे अपेक्षायें थीं... फ़िर आपकी ये कविता पढ़ी..आपने जिस सरलता से 2 मुहावरे डाले, शूर्पनखा के बारे में बताया और राखी का त्योहार.. एक तरह से 4-4 बातें सीखने को मिल जायेंगी बच्चों को। कमाल है!!
अब यकीन हो गया कि आप आयें हैं तो बाल उद्यान महकेगा ज़रूर।
बधाई व् धन्यवाद,
तपन शर्मा
रजनीश जी,
इस पर्व पर इससे ज्यादा बच्चों को आनंदित करने वाली रचना क्या होती। यह बडों को भी गुदगुदा रही है। बच्चों को पर्व से और मुहावरों से तो आपने परिचित कराया ही है कविता की रवानगी एसी है कि सुबह से कई बार पढ गया हूँ। बहुत आभार कि बाल उद्यान को आप जैसी प्रतिभा का साथ मिला।
*** राजीव रंजन प्रसाद
रजनीश जी!
एक बहुत ही प्यारी और बालोपयोगी कविता के लिये बधाई. निश्चय ही यह कविता बच्चों को बहुत बहुत पसंद आयेगी.
बहुत बढ़िया कविता, मज़ा आ गया बधाई:)
रजनीश जी,
नाम जितना बड़ा सुना था, आपके दर्शन उससे भी बड़े निकले। आपकी कविता पढ़कर फिर से बच्चा बनने का मन करता है।
बाल-उद्यान पर इस प्यारी कविता के लिये बहुत बधाई।
यह बच्चों के लिये अब तक बाल उद्यान में प्रकाशित रचनाओं में सर्वश्रेष्ठ कविता है। राखी का तोहफा....
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