बच्चे और तुकबंदी..

नोटपैड (सुजाता जी) किसी कार्यवश व्यस्त हैं और वे अपनी पोस्ट शाम के पाँच बजे के पश्चात ही कर पायेंगी। इस अवसर का लाभ यह सोच कर मैंनें उठा लिया कि खाली समय में पाठकों से थोडी चर्चा ही हो जाये।
बच्चे स्वाभाविक कवि होते हैं। आप बच्चों के सम्मुख गुनगुना भर दीजिये, फिर देखिये कैसे आपका नन्हा मुन्ना या नन्ही मुन्नी अनगढ शब्दों को गढ गढ कर तुक मिलाती है। तुकबंदी असाधारण कला है और इसे परिष्कृत करने का दायित्व है माता-पिता और अध्यापकों का। तुकबंदी साधारण सी और प्यारी लगने वाली प्रकृया होते हुए भी चमत्कृत करने वाले परिणाम दे सकती है, यदि आपके बाल-गोपाल का उसमें मन रम जाये। यह मानसिक विकास में भी सहायक है। कल्पना शक्ति और बच्चों की तुकबन्दी का गहरा रिशता है। एक उदाहरण देखिये। यह कविता मेरी बेटी कुहू कि अपनी तुकबंदी है जो माता-पिता से उसके स्वाभाविक नोकझोंक की परिणति थी:
कुहू:
सबसे प्यारे मेरे पापा
सबसे अच्छी मेरी मम्मी
पापा:
मुझे पढाते मुझे हँसाते
मिलकर लेते मेरी चुम्मी
पापा:
जब मैं बडी हो जाऊंगी
डाक्टर बन कर दिखलाउंगी
कुहू:
पापा को दवाई खिलाउंगी
मम्मी को सूई लगाउंगी
बच कर रहना मुझसे पापा
बच कर रहना मुझसे मम्मी
यह सामान्य तुकबंदी जुडते हुए एक सुन्दर कविता बन गयी। इस कविता से मेरी बिटिया का रुझान तुकबंदी की ओर इस तरह बढा कि वह चार वर्ष की छोटी सी उम्र में छोटी-छोटी कवितायें गढ लेती है। चाहे उसके गढे शब्दों के कुछ अर्थ निकलते हों अथ्वा नहीं किंतु वे अनमोल हैं।
मित्रों बच्चों को समय दें। उनके भीतर की कल्पना को पंख प्रदान करना आपका दायित्व है। तुकबंदी मजेदार खेल है बच्चों के साथ जरा खेल कर तो देखें :)
*** राजीव रंजन प्रसाद

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7 पाठकों का कहना है :
ठिक कहते हैं राजीव जी आप, बच्चो मे प्रत्येक कला के बिज होते है और उनको विकसीत करने की आव्शयक्ता मात्र होती है , आप हमारे लिये एक और प्रतिभाशाली कवि का निर्माण कर रहें है , धन्यवाद |
आप सही कह रहे हैं राजीव जी कि बच्चे स्वाभाविक कवि होते हैं। कुहू की कविता उसके नाम के अनुरूप ही मीठी है।
पहली बार "बाल उद्यान" देखा, अतीव प्रसन्नता हुयी। बधाई स्वीकारें। मैं भी बाल साहित्यकार हूं। अब तक 53 किताबें छप चुकी हैं। यदि अपनी रचनाएं यहां पर देना चाहूं, तो क्या करना होगा। मेरा ईमेल पता है- zakirlko@gmail.com
कवयित्री कुहू को मेरा बहुत सा प्यार ।
अच्छी शुरूवात है । राजीव जी बच्चों में बहुत
प्रतिभा होती है। आवश्यकता बस उसे पहचानने की
और उचित अवसर प्रदान करने की है । आपने ऐसा
किया , आप निश्चय ही प्रशंसा एवं बधाई के अधिकारी हैं ।
बहुत -बहुत बधाई ,
कुहू और कुहू की कविता दोनो पसंद आयी।
बहुत बहुत बधाई कुहू को एवं ढ़ेरों शुभकामनायें.राजीव जी आपको भी बधाई.
कुहू की तुकबंदी बहुत अच्छी
कुहू है बहुत प्यारी बच्ची:):)
बहुत सुदंर कुहु भी और उसकी तुकबंदी भी:)
कुहू को मेरा बहुत सा प्यार ।
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