मेरे नन्हे दिल की यह अभिलाषा ***

मेरे नन्हे दिल की यह अभिलाषा है
कि नदिया सी कल- कल बहती जाऊँ
करके नेक काम मैं जग में
चारों दिशाओ में अपना नाम फैलाऊँ
सूरज से लूं उसकी लालिमा
चाँद सितारो को छू आऊँ
आशा का दीप जला कर हर पल
हर अंधकार को दूर भगाऊँ
पर्वत सी कठोरता हो दिल में
निर्झर झरने का प्यार लुटाऊँ
यही कामना है प्रभु मेरी तुझसे
उज्जवल अपने देश का भाविष्य बनाऊँ
मेहनत और उल्लास से झूम उठे धरती सारी
हरियाली की चाद्दर अब बंजर ज़मीन पर बिछाऊँ
कतरा -कतरा अपने लहू का लूटा अपनी भूमि पर
सागर सा विशाल,हृदय लेकर हर दिल
रंजना [रंजू]
इस कविता को पूरा बहुत रोचक ढंग से किया गया है..
15 शब्द बच्चो को दिए थे उसको कविता में ढाल के पूरा करना था..
जैसे . अभिलाषा ,नदिया,दिशाओ ,सूरज ,चाँद ,दीप,अंधकार,पर्वत , झरने .उज्जवल,मेहनत,धरती,हरियाली
कतरा, सागर.भाविष्य
मेरी बहन के बच्चों और मैने मिल के इस कविता को पूरा किया ,इसलिए जैसी यह लिखी गई उसी रूप में इसे यहाँ दे रही हूँ:):)
यूँ हम बच्चो को विविध शब्द दे के उन में कविता या लेख लिखने का बढ़ावा दे सकते हैं बच्चे इस को बहुत ख़ुशी से करते हैं ..ज़रा आज़मा के देखिए :)

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8 पाठकों का कहना है :
रंजना जी...
आप ने जो प्रयास करके बाल मन में साहित्य स्रजन के बीज अंकुरित किये हैं..
मैं आप के इस प्रयास पर नतमस्तक हूँ..
अगर आप अपने इस प्रयास को निरन्तरता दे पाये तो भविष्य आप का ऋणी होगा इसमें कोई सन्देह नहीं है..
रचना को भी मैने पूरे आनन्द से पढा है..
और मुझे बहुत पसन्द भी आई है
बहुत सुन्दर प्रयास किया है आप ने..
आभार.
बहुत प्यारा प्रयास रहा है ये । आपको बधाई ।
घुघूती बासूती
नर्सरी के बच्चों को सर्वप्रथम गीत (rhyme) ही सिखाते हैं, उनके लिए बड़ी अच्छी कविता बनी है। बस इसे अच्छी धुन में पिरोने की जरूरत है।
रंजना जी
आप बहुत अच्छा प्रयास कर रही हैं । बहु-बहुत बधाई ।
रंजना जी,
आप जैसे अध्यापक हों, जिनमें बच्चों के लिये इतनी गहरी सोच है तो इस देश का भविष्य निश्चित ही उज्वल है।
बहुत सुन्दर गीत! क्या आप इसे पोडकास्ट कर सकती हैं?
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत सुन्दर प्रयास है आप का , आप की नर्सरी मे भविष्य के कवि पल्लवित हो रहे हैं, आप इसके लिये बधाई की पात्र हैं!
बच्चों का और गीत का गहरा रिश्ता है। आपका गीत बहुत सुन्दर बन पडा है।
बहुत बढ़िया। जिस तरह से आपने इस कविता के पूरे होने की कहानी बताई। मैं बहुत प्रभावित हुआ।
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