दो पहेलियाँ
१
शेर की है ये मौसी,
पर उससे खूब छोटी,
चुपके से घर पर आये
सारा दूध झट पी जाये,
चूहे इससे डरकर भागे,
क्योकी ये उनको खा ले,
बूझो करु मैं बात किसकी ?
बिल्ली मौसी,बिल्ली मौसी |
२
दिन मे छूप जाये कहीं,
ढूंढो तो दिखता ही नहीं,
रोज़ रात को वो आता ,
साथ अपने सितारे लाता ,
कभी नज़र आये आधा ,
कभी पूरा गोल हो जाता,
कौन है वो जरा नाम बताना ?
नहीं मालूम ? चंदा मामा |

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
7 पाठकों का कहना है :
:) मजेदार हैं यह पहेलियाँ कुछ और होती तो ज्यादा मज़ा आता ..शुभकामनाये
ऋषिकेश जी,
पहेली से अनूठी विधायें कम ही हैं। पहेली लिखना कविता भी है और बच्चों की ज्ञिज्ञासा को सकारात्मक और कल्पना की उडान देने का अप्रतिम माध्यम भी। आज पहेलियाँ कम ही लिखी जा रही हैं। आपकी दोनो ही पहेलियाँ प्रसंशनीय है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत अच्छी हैं पहेलियाँ ।
कृपया 'खुब' को ठीक कर 'खूब' कर लें ।
- सीमा कुमार
bachpan lout aaya hai sachi main maja aa gaya padh kar
rishikesh ji aapka ye rang bhaut achha laga
वाह ऋषिकेश जी
आप तो बाल जगत में भृपूर आनन्द उठा रहे हैं ।
बच्चों की दुनिया होती ही कुछ ऐसी है । सस्नेह
पाठको से मिल रही प्रतिक्रिया पढ कर अच्छा लग रहा है , बाल उधान के समस्त सहयोगी कवियो से प्रतिक्रिया की आशा कर रहा हूं
ऋषिकेश जी,
अच्छा लिखा है, हमे पसंद आया।
कॄपया ऐसे ही लिखते रहें।
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)