हम बच्चे
आज प्रस्तुत है तपन शर्मा जी की बाल कविता - हम बच्चे।
हम बच्चे प्यारे प्यारे हैं,
सब के राज दुलारे हैं।
मीठी हमारी बोली है,
मिसरी उसमें घोली है॥
चंदा हमारे मामा लगते,
सूरज अपने चाचा लगते।
खेल खिलौने हमारी दुनिया,
मम्मी पापा प्यारे लगते॥
टीचर के हम मन को भाते,
दीदी, भैया संग खेलने जाते।
नानी दादी से कहानी सुन कर,
हँसते और हँसाते जाते॥
-तपन शर्मा
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7 पाठकों का कहना है :
अच्छी बाल-कविता है। नयापन नहीं है।
तबन जी,
बच्चों के लिये लिखने का आनंद ही अलग है, बच्चों के लिये बच्चा बनना पडता है..आप बखूबी बच्चा बने है।
यह बात सत्य है कि कविता में वही पुरानी बाते हैं जो हमेशा से बच्चों से जोड कर अनेको कविताओं में कही गयी हैं। यदि कुछ एसी पंक्तियाँ इस कविता में होती तो आनंद दुगुना हो जाता।
*** राजीव रंजन प्रसाद
तपन जी!
सुंदर कविता के लिये बधाई! छोटे बच्चों को कविता निश्चय ही पसंद आयेगी.
तपन जी! जब आप बच्चों के लिये लिख रहे होते हैं ,स्वयं भी बच्चा ही बन जाना पड़्ता है.
आपके उस सुख का मैं अनुभव कर रहा हूं
सस्नेह
प्रवीण पंडित
तपन जी,
आप चाहें तो कुछ मैज़िक लर्निंग पाठ, विज्ञान गल्प, प्रेक कथाएँ आदि भी बच्चों के लिए चुन सकते हैं। वैसे कविता भी बुरी नहीं है।
सुंदर कविता है।
तपनजी,
बाल-मन का बहुत ही खूबसूरत काव्य रूपांतरण किया है आपने। बच्चे इसे गुनगुनाकर निश्चय ही स्वयं को खिला-खिला सा महसूस करेंगे।
बधाई!!!
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