बंदर की दुकान (बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में) - 5
चौथे भाग से आगे....
5.उडता-उडता कौवा आया
कांव-कांव का शोर मचाया
दुकान को देखने के बहाने
लगा वो आस-पास मंडराने
बोला फिर दो एक ट्री
एक के साथ में एक फ़्री
उस पर घर बनाऊंगा
आराम से फिर रह पाऊंगा
गाऊंगा बैठ के मजे से गाना
गाना सुनने तुम भी आना
क्रोध से हो गया बंदर लाल
पर आया उसको ख्याल
बोला वो लगवा दूंगा
घर तेरा बनवा दूंगा
लगेंगे पर इसमें कुछ दिन
देखो तुम न होना खिन्न
ज्यों ही बन जाएगा घर
कर दूंगा मैं तुम्हें खबर
5. अब उडता-उडता कौआ आया और कांव-कांव करके शोर मचाने लगा। सबसे पहले तो वह दुकान को देखने के बहाने इधर-उधर कांव-कांव करता हुआ दुकान के ऊपर मंडराने लगा। फिर आकर बोला:-
बंदर भैया, मुझे एक ट्री दे दो, देखो मुझे पता है यह एक के साथ एक फ़्री मिलता है। उस पर मैं अपना घर बनाऊंगा और फिर मजे से बैठकर गाना गाऊंगा। तुम भी मेरा गाना सुनने के लिए जरूर आना।
यह सुनकर बंदर तो गुस्से से लाल-पीला होने लगा लेकिन फ़िर अपने गुस्से को दबाते हुए बोला:-
कौए भैया मैं तुम्हें ऐसा ही पेड़ मंगवा दूंगा और इतना ही नहीं उस पर तुम्हारा घर भी बनवा कर दूंगा। पर देखो इस काम में तो कुछ दिन का समय लगेगा और तुम नाराज़ नहीं होना। जैसे ही तुम्हारा घर बन जाएगा मैं तुम्हें इत्तला कर दूंगा।
छठवाँ भाग
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5 पाठकों का कहना है :
सीमाजी बहुत ही सुन्दर कहानी है बाल कविता के रूप मे बधाई
सीमाजी बहुत ही सुन्दर कहानी है बाल कविता के रूप मे बधाई
उडता-उडता कौवा आया
कांव-कांव का शोर मचाया
दुकान को देखने के बहाने
लगा वो आस-पास मंडराने
बोला फिर दो एक ट्री
एक के साथ में एक फ़्री
उस पर घर बनाऊंगा
आराम से फिर रह पाऊंगा
गाऊंगा बैठ के मजे से गाना
गाना सुनने तुम भी आना
क्रोध से हो गया बंदर लाल
पर आया उसको ख्याल
बोला वो लगवा दूंगा
घर तेरा बनवा दूंगा
लगेंगे पर इसमें कुछ दिन
देखो तुम न होना खिन्न
ज्यों ही बन जाएगा घर
कर दूंगा मैं तुम्हें खबर
पाचवां भाग भी बहुत ही सुन्दर.
kauve ko tree ,aur saath me ghar bhi ,bandar ki dukaan hai ya bildar ya phir contractor ......................................................jo bhi jaldi bataayiye
Kahani mein pasu -pachi bhare hai.
Insan ko la dijiye.
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