दीदी की पाती ..अवसर
दीदी की पाती ..अवसर
परीक्षा समाप्त हो गई थी और बच्चे अब मस्ती के और खेलने के मूड में थे ....सब बच्चो को छुट्टी और मस्ती के मूड में देख कर पड़ोस के शर्मा जी ने एक मजेदार पिकनिक का आयोजन करने की सोची जिसमें घूमना और खेलना तो था ही साथ में बच्चो की रूचि के अनुसार कई प्रतियोगिता भी रखी गई थी चूँकि शर्मा जी एक टी वी चेनल में काम करते थे और चाहते थे कि इसी तरह बच्चो की प्रतिभा को पहचान कर उन्हें आगे बढ़ने का मौका दिया जा सकता है ..सो उन्होंने पूरे ब्लाक में यह सूचना दे दी .कि जो इस में भाग लेना चाहते हैं अपना अपना नाम लिखवा दे और निश्चित समय पर पहुँच जाए ....क्यूंकि इस में भाग लेने वाले बच्चो की संख्या निश्चित थी इसलिए पहले आओ और पहले अवसर पाओ के आधार पर बच्चे चुने जाने थे .सब बच्चे बहुत खुश थे वहाँ रहने वाला पिंटू भी बहुत खुश था .जब उसने यह सुना तो बहुत खुश हुआ उसको डांस करने का भी बहुत शौक था ..पर उस में सिर्फ़ एक ही खराबी थी कि वह हर काम को कर लूँगा अभी बहुत समय है कह कर टाल देता और कई बार वह ऐसे सुनहरे अवसर को खो देता ...इस बार भी यही हुआ ..कर लूँगा के वाले स्वभाव के कारण उसने अपना नाम नही लिखवाया और यह सुनहरा अवसर खो दिया ...
कई बार ऐसा होता है की हमारे जीवन में कुछ कर गुजरने के मौके आते हैं पर हम अपनी उलझन में कभी उसको पहचान नही पाते और कभी करे या न करे के फेर में या अभी कर लेंगे के चक्कर में उसको गंवा देते हैं ...चलो आज इस से जुड़ी तुम्हे एक कहानी सुनाती हूँ ..
एक चित्रकार ने अपने चित्रों की प्रद्शनी लगाई उन चित्रों में एक चित्र ऐसा भी था ,जिसका चेहरा बालों से ढका हुआ था और पैरों में पंख लगे थे !
बहुत से कलाप्रेमी .पत्रकार .आलोचक उस प्रद्शनी को देखने आए दूसरे चित्रों को देख कर सबने "'वाह वाह ''की पर उस चित्र का अर्थ किसी को समझ नही आया
चित्रकार से लोगों ने पूछा -क्यों भाई... यह चित्र किसका है ?"
यह अवसर का चित्र है !"चित्रकार बोला
तो तुमने इसका चेहरा क्यों ढक दिया है ?"
इसलिए कि यह लोगों के सामने आता है तो लोग इसको पहचान नही पाते !"चित्रकार ने कहा !
और यह पंख किस लिए ?
इसलिए कि अवसर बड़ी तेजी से चला जाता है और एक बार गया तो फ़िर किसी के हाथ नही आता !""
सो अवसर को पहचानो और जब भी कुछ कर दिखाने का मौका मिले तो चुको मत !!
और एक महान कलाकार वही होता है जो सत्य को सरल कर देता है !!
अच्छी कहानी थी न ..तो कभी हाथ आए अवसर को यूं व्यर्थ न जाने दो ..ज़िंदगी में आगे बढ़ना ही अच्छा होता है .और कैसी लगी यह कहानी यह बताना भी नही भूलना :) फ़िर मिलूंगी आपसे अगली पाती में ..अपना ध्यान रखे
बहुत सारे प्यार के साथ
आपकी दीदी रंजू
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7 पाठकों का कहना है :
sabse pehle to dhanyawaad ki is desh mein hindi ke baare mein sochne ke saath kuchh karne waale log bhi hain. Avsar aapke paas tha aur apne use pehchaan liya aur hum hindi premiyon ke ek pyara sa blog de diya, jise hum apna keh sakte hain.
समय कीमती हे बच्चो को वचपन से ही यह आदत डालनी चहिये
Hamesha ki tarah is baar bhi aapki pati majedar aur gyanvardhak hai.
Hello. This post is likeable, and your blog is very interesting, congratulations :-). I will add in my blogroll =). If possible gives a last there on my blog, it is about the GPS, I hope you enjoy. The address is http://gps-brasil.blogspot.com. A hug.
bachcho ke liye shikshaprad kahaani bahut achchi agi
बहुत अच्छे रंजू जी.हमेशा की तरह उर्जावान.
आलोक सिंह "साहिल"
रंजना जी,
कल मैं तिमारपुर कॉलोनी में गया था। वहाँ भी बच्चों के लिए तीन दिनों का कार्यक्रम हो रहा है। बहुत से बच्चे भाग लिये और बहुत से बच्चों ने सुनहरे अवसर को गँवा दिया। आपने बहुत सच्ची बात लिखी है। आपको साधुवाद।
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