Tuesday, April 29, 2008

चिड़िया का संदेश


फुर फुर करती आये चिड़िया
बैठ मुँडेर पे गाये चिड़िया

रोज सवेरे मुझे जगाती
चीं चीं करके गाना गाती
आँखें मलती मैं उठ जाती

भात कटोरी जब मैं लाती
फुदक फुदक कर नीचे आती
चहक चहक कर खेल दिखाती
सुबह मेरी मधुमय हो जाती

गाना गाकर प्यार लुटाती
उठो सवेरा सीख सिखाती
खुले गगन की सैर वो करती

यही संदेशा देकर जाती
प्रकृति की दौलत तुम्हारे लिये है
सुरभित पवन ये तुम्हारे लिये है

खुली हवा में सैर को जाओ
नहीं नींद में समय बिताओ
सबल स्वास्थ्य के धनी बन जाओ

सुषमा गर्ग
29.4.08


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8 पाठकों का कहना है :

शोभा का कहना है कि -

सुषमा जी
सुन्दर कविता लिखी है। बधाई स्वीकारें।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

बढिया बाल-मन-भावन एवं शिक्षाप्रद कविता..

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत सुंदर कविता सुषमा जी

सीमा सचदेव का कहना है कि -

Chidiya ki chi-chi ne chulbulapan bhar diya ,bahut hi pyaari rachana bachcho ke liye ,badhaai.....seema

Anonymous का कहना है कि -

सुषमा जी , सुरुचिपूर्ण शिक्षा देती चिडिया की कविता हमारे भी मन भाई, आपको ढेरों शुभकामनाएँ

^^पूजा अनिल

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बहुत ही अच्छा संदेश

Kavi Kulwant का कहना है कि -

सुषमा है कविता में..

शोभा का कहना है कि -

सुषमा जी
बहुत सुन्दर कविता लिखी है। बधाई

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