नानक था उसका नाम

आओ बच्चो तुम्हें बुलाऊँ
गुरू पूरब की कथा सुनाऊँ।
तलवंडी में एक किसान
सीधा-सच्चा और विद्वान
जन्मा उनके घर एक बालक
नीलगगन में जैसे दिवाकर
मात-पिता ने प्यार से पाला
नानक नाम उसे दे डाला।
दिए उसे सुन्दर संस्कार
करता था वो सभी से प्यार
कपट और छल से अंजान
बचपन से वह बना महान
सब पर प्रेम लुटाता था वह
सबके मन को भाता था वह
कभी किसी को नहीं सताता
दुखी जनों के कष्ट मिटाता
खेतों की रखवाली करता
मधुर गीत कण-कण में भरता
राम जी की चिड़िया, राम जी का खेत
खा लो चिड़िया, भर-भर पेट।
देख पिता ने कुछ समझाया
बालक को कुछ समझ ना आया।
सबको देता दया का दान
पाता सबसे वह सम्मान
पिता ने सोचा एक उपाय
किया पुत्र का तुरंत विवाह
गृहस्थ जीवन का डाला दाना
पर ना बालक का मन माना
करता रहा वह प्रभु का ध्यान
पाता उसमें ही विश्राम
एक दिवस था घर को त्यागा
माया-मोह का बंधन काटा
प्रभु भक्ति में ध्यान लगाया
जीवन का सच्चा सुख पाया
सब जीवों को देकर ज्ञान
किया सभी का फिर कल्याण
सबको सुख की राह बताई
भक्ति में ही मुक्ति पाई।
नानक देव था उनका नाम
करता जग उनका सम्मान
नानक जी का यह है ज्ञान
कभी पाप का करो ना ध्यान
सब जीवों से प्रेम बढ़ाओ
नफरत को समूल मिटाओ
मेहनत करो और हो बलवान
करो सदा सबका सम्मान

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5 पाठकों का कहना है :
Gurporav ki bahut badhaaii
Shobha ji ki kahaani bhi
kavita me aaii
kal mai bhi kuch aisa likhane vaali thi
par mujhse pahale aapne katha sunaaii
ek baar fir se bahut-bahut badhaaii
seema sachdev
सीमा जी कविता में कुछ भी कहना आसान नही होता और झट से कहानी या कोई भी जानकारी कविता में लिख देती है क्या बात है आप को आभार
सादर
रचना
बहुत अच्छी रचना लग रही है,ऐसा लग रहा था पड़ते समय , जैसे शब्द अपनेआप बह रहे हो,बहुत -बहुत बधाई!
शोभा जी की बात निराली
बात भी कविता में कह डाली
नानक जी का महिमा गान
सत्य संत का गुणी बखान
अन्दर तक दिल गया है छू
धन्य धन्य भारत की भू
मैं भी धन्य हुआ यहाँ आकर
जन्म गोद में इसकी पाकर
मेरा भारत देश महान
नानक जी था उसका नाम..
शोभा जी,
बहुत बढ़िया कोशिश की आपने। बाल-उद्यान पर कहानियों को पद्य में ढालने वाली तीन कलमें तैयार हो गई हैं। सीमा सचदेव और भूपेन्द्र राघव तो थे ही, अब लगता है आपने भी गाथाओं के काव्यांतरण मूड बना लिया है।
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