खुशियों का त्यौहार मनाओ
दीवाली दीपों का मेला
रहे न बैठा कोई अकेला
मिलजुल कर सब खेलो खाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
ध्यान रहे ये भी पर मन में
खुशियाँ बिखरें हर आँगन में
हर आँगन में फूल खिलाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
रहे न नफरत किसी के मन में
प्रेम सुवासित हो हर तन में
सबको प्रेम-सन्देश सुनाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
दूर करो अज्ञान अंधेरा
घर-घर पहुँचे ज्ञान-सवेरा
शिक्षा की तुम ज्योति जगाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
दीवाली की रात निराली
दूर करो इसकी अंधियाली
घर-आँगन में दीप जलाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
खुशियाँ बरसें हर आँगन में
रहे न पानी किसी नयन में
सब मिलकर यूँ मंगल गाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
अजय यादव
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9 पाठकों का कहना है :
रहे न नफरत किसी के मन में
प्रेम सुवासित हो हर तन में
सबको प्रेम-सन्देश सुनाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
खुशियाँ बरसें हर आँगन में
रहे न पानी किसी नयन में
सब मिलकर यूँ मंगल गाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
बहुत अच्ची कविता दी आपने इस पवित्र पर्व पर
अजय जी
एक सुन्दर सन्देश के लिए बधाई
रहे न नफरत किसी के मन में
प्रेम सुवासित हो हर तन में
सबको प्रेम-सन्देश सुनाओ
खुशियों का त्यौहार मनाओ
अजय जी बहुत सुंदर संदेश है इस में ..सुंदर कविता है
दिवाली का उजाला सबके जीवन पर छाए.. बधाई सुंदर रचना के लिए
अजय जी,
बालौद्यान में दीपावली-विषेशांक पर पहला दीप आपने जलाया और वह भी सतरंगी रोशनी वाला| बहुत बधाई|
*** राजीव रंजन प्रसाद
bahut achhe, aapne bachon ke liye diwali ka shubhaarmbh kar diya hai
अरे वाह अजय जी,
शुरुआत मे ही बाजी मार ली दिवाली की..
बहुत अच्छी कविता।
बधाई और सबको दिवाली की शुभकामनाये
इस खूबसूरत कविता के लिए हार्दिक बधाई।
अजय जी
अच्छी कविता खूबसूरत सन्देश ....
बधाई
बहुत खूब अजय जी,
आप भी इस शिक्षा का उजियारा हर ओर फैलाएँ।
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