भैया-दूज क्यों?
मेरे देश की आशाओं
बहुत-बहुत प्यार। आज पुनः उपस्थित हूँ एक और पर्व की जानकारी के साथ। आज भाई दूज का त्योहार है। त्योहार का पाँचवा दिन। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन बहनें भाई के मस्तक पर टीका लगा कर उसके मंगल की कामना करती हैं। माना जाता है कि इस दिन भाई के मस्तक पर टीका लगाने से भाई यमराज के कष्ट से बच जाता है।
बच्चों ये सब कथाएँ केवल प्रतीक हैं। त्योहार हमें प्रेम से रहना तथा सम्बन्धों का आदर करना सिखाते हैं। किसी भी बहाने सब जुड़े रहें तथा एक दूसरे की भावना का आदर करें यही त्योहारों का सन्देश है। आप सब त्योहारों का यह सन्देश अपने जीवन में अनपाएँ तथा हर ओर खुशियाँ फैलाएँ यही मेरी कामना है।
बहुत सारे प्यार के साथ
शोभा आन्टी
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3 पाठकों का कहना है :
बच्चों को आप प्रेरित कर रहीं हैं मिल जुल कर रहने की,सचमुच आपके प्रयास की आवश्यकता है।त्योहार यह संदेश फैलाते हैं,एक तरह की संस्कृति बनाते हैं जिससे हमारा आचरण निर्मित होता है।यह भाईचारा समाज को मिलनसार बनाता है।परंतु,आप इस निष्कर्ष पर कैसे पहुँची की यह सब केवल प्रतीक है?जबकि मनुष्य कागज पर एक बिन्दु के बारे में सही नहीं बता सकता कि वह क्या है-जितने लोग उतने तरह की बातें और व्याख्या होगी।और फिर यह कहना कि यह सब केवल प्रतीक है,इनके महत्व को कम नहीं करता?
भैया दूज के बारे में आपकी निम्न पंक्तियां बहुत अच्छी लगी-
"बच्चों ये सब कथाएँ केवल प्रतीक हैं। त्योहार हमें प्रेम से रहना तथा सम्बन्धों का आदर करना सिखाते हैं। किसी भी बहाने सब जुड़े रहें तथा एक दूसरे की भावना का आदर करें यही त्योहारों का सन्देश है।"
बहुत-बहुत बधाई।
शोभा जी,
बच्चो को जो आज कल अपने त्योहार भुलते जा रहे है.. उनहे आपने बहुत अच्छे ढंग से प्रस्तुत किया है। बधाई
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