Tuesday, October 2, 2007

गांधीजी के लिये कुर्ता

बच्चों को गांधीजी से मिलना बहोत अच्छा लगता था। उनसे मिलने आया एक छोटा बच्चा बहोत परेशान हो गया, ये देख कर के गांधीजी ने कुर्ता नहीं पहना है। इतने बडे और महान व्यक्ति होने पर भी ये कुर्ता क्यों नही पहनते? उसके मन मे ये सवाल रह रह कर आ जाता था।

"गांधीजी! आप कुर्ता क्यों नहीं पहनते हो?" आखिरकार उसने हिम्मत जुटाकर गांधीजी से पूछ ही लिया।

"पैसे कहाँ है, बेटे?", गांधीजी ने स्नेह से कहा, "मै बहोत गरीब हूँ बेटे, मुझे कुर्ता पुराता नहीं है।"

छोटे लडके को बहोत बुरा लगा। उसे गांधीजी पर बहोत दया आई।

"मेरी माँ अच्छा सीती है।" उसने कहा, "वही मेरे लिये कपडे सीती है। मै उसे आपके लिये भी कुर्ता सीने के लिये कहूँगा।"

"तुम्हारी माँ कितने कुर्ते बना सकती है मेरे लिये?", गांधीजी ने पुछा।

"आपको कितने चाहिये? एक, दो, तीन..", लडके के पुछा, " आपको जितने भी चाहिये वो बना देगी।"

गांधीजी ने कुछ देरे सोचा फिर बोलें, "बेटे मै अकेला नहीं हूँ, सिर्फ मैं कुर्ता पहनू ये अच्छा नहीं होगा, मेरे भाई बहनों को भी कुर्ते नहीं है।"

"आपको कितने कुर्ते चाहिये?", लडका जिद पर आ गया, "मै अपनी माँ से आपको जितने चाहिये उतने कुर्ते सीने के लिये कहूँगा। सिर्फ आप मुझे इतना बता दिजिये कि आपको कितने कुर्ते चाहिये"

"मेरा परिवार बहोत बडा है बेटे", गांधीजी बोलें," मुझे चालीस करोड भाई बहने हैं", गांधीजी ने समझाया।

"जब तक सबको एक एक कुर्ता ना मिल जाए, मै कैसे कुर्ता पहन सकता हूँ?", गाधीजी ने कहा, " बाताओ, क्या तुम्हारी माँ उन सब के लिये कुर्ता बना सकती है?"

इस सवाल पर लडका सोच में पड गया। चालीस करोड भाई बहने! गाधीजी सही थे। जब तक उन सबको कुर्ता ना मिल जाये वो कैसे कुर्ता पहन सकते थे? आखिर सारा भारत देश ही तो उनका परिवार हैं, वो तो परिवार के मुखिया हैं। वहीं तो उन सबके मित्र है, अपने हैं, उनका काम भला एक कुर्ते से कैसे होगा?

(उमा शंकर जोशी जी के अग्रेजी कहानी का अनुवाद )


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9 पाठकों का कहना है :

Alpana Verma का कहना है कि -

गाँधी जयंती पर आप सभी को बधाई.
गाँधी जी ने हमेशा देश और देश वासियों को
ख़ुद से उपर रखा था यह इस कहानी से सॉफ पता चलता है- धन्यवाद
-अल्पना वर्मा

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

राष्ट्रबंधुत्व का बहुत गहरा संदेश है कहानी में, तुषार जी आप बधाई के पात्र हैं इस प्रस्तुतिकरण के लिये।

गाँधी जयंति हमें बापू के आदर्शों पर ठहर कर सोचने का मौका तो देती ही है।


*** राजीव रंजन प्रसाद

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

तुषार जी,

आपने इस दिवस को सार्थक कर दिया, बहुत सटीक कहानी चुनी आपने। अनुवाद कार्य में आप वैसे भी बादशाह हैं।
बच्चों-बूढ़ों, सभी को इस कहानी से सीख लेनी चाहिए।

विश्व अहिंसा दिवस की बधाई।

रंजू भाटिया का कहना है कि -

गांधी जयंती की बहुत बहुत बधाई
बहुत ही सुंदर कहानी चुनी आपने तुषार जी
बहुत अच्छा लगा इसको यहाँ पढना
शुक्रिया !!

अभिषेक सागर का कहना है कि -

गाँधी जयंती हमारे देश के लिये बहुत बड़ा पर्व है और इस मौके पर सभी को बधाई.
गाँधी जी ने जो हमे रास्ता दिखाया यदि हम अमल करें तो हमारा राष्ट दुनिया मे सर्वोपरि हो जाये।
बहुत अच्छी कहानी।

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

गांधी जी के प्रेरक प्रसंग के लिए बधाई। इसके द्वारा बच्चों को गांधी जी के विराट व्यक्तित्व को जानने समझने का मौका मिलेगा।

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

तुषार जी,

बहुत बहुत बधाई एक प्रेरक प्रसंग प्रस्तुत करने के लिये.
राष्ट्रहित, राष्ट्रप्रेम व बन्धुत्व का सन्देश समेटे अच्छी प्रस्तुति.

सुनीता शानू का कहना है कि -

तुषार भाई आपकी यह कहानी छोटे-छोटे मासूम बच्चो के दिल में राष्ट्र-प्रेम व भात्र-प्रेम की भावना को भर देगी...

सुनीता(शानू)

संगीता स्वरुप ( गीत ) का कहना है कि -

प्रेरणा हेतु सुंदर प्रसंग.
बधाई

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