साल में जब हो सौ छुट्टियाँ
प्यारे बच्चो,
नियमित बाल-साहित्य-सृजक की अनुपस्थिति में हमारा प्रयास रहता है कि आपकी रचनाओं को भी हिन्द-युग्म के इस मंच पर जगह दी जाय ताकि आपकी रचानात्मकता भी निख़र कर बाहर आ सके। यदि आप भी लिखते हैं तो शर्माना छोड़िये और अपनी रचनाएँ, परिचय व फोटो सहित bu.hindyugm@gmail.com पर भेजिए। बच्चो, इसी कड़ी में आज आपके समक्ष औरंगाबाद, महाराष्ट्र के करन सुगंधी अपनी रचना "साल में जब हो सौ छुट्टियाँ" लेकर आये हैं। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है -
करन सुगंधी
-: कक्षा :-
दसवीं
-: विद्यालय :-
एस.बी. ओ.ए. पब्लिक स्कूल
-: शहर :-
औरंगाबाद, महाराष्ट्र
साल में जब हो सौ छुट्टियाँ
साल में जब हो सौ छुट्टियाँ
तो इसमें क्या है बच्चों की गलतियाँ
गलतियों को सुधारा जा सकता है
समय का सदुपयोग किया जा सकता है
क्यों न पास होने पर, चिल्लाते माँ-बाप बच्चों पर
कह सकते हैं वे बच्चों से; और मेहनत कर
समझने दो बच्चों को माँ-बाप के अरमान
तभी पढ़ेंगे लगा कर जी-जान
वे न बैठेंगे भविष्य में बेकार
उनके लिये होगी नौकरियों की भरमार
नौकरियों से होगी उनकी उन्नति
इससे होगी उनकी प्रगति
ढूँढ लेंगे वे अपना सही स्थान
जहाँ लोग उन्हें देंगे सम्मान
वे होंगे जीवन-भर सुखी
न कर पायेगा उन्हें कोई दुखी
हर अभिभावक ये समझ लें
बच्चों को वे पहचान लें
जब उन्होंने न की किसी बात की कमी
तो हमारी आँखों में क्यों होगी नमी?
- करन सुगंधी
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
6 पाठकों का कहना है :
करन ने कविता के माध्यम से सही सोच को पाठकों तक पहुंचाया है। उनकी सोच एवं कविता के लिए बधाई।
करण,
तुम्हारा प्रयास बहुत अच्छा है और सही सोच को तुमने अच्छी पंक्तियों में उजागर किया है। लिखते रहो, तुममें बहुत अच्छे कवि होने की संभावनायें हैं।
*** राजीव रंजन प्रसाद
सुंदर कोशिश है करन आपकी!!
करन........:-)
मन की भावनाओं को उतारने के लिए कलम की पकड़ मज़बूत करते रहिए...सही उम्र सही सोच...
अच्छी कविता के लिए ढेर सारी बधाइयाँ
सुनीता
अरे वाह करन,
कविता के माध्यम से बच्चो के सोच को बहुत अच्छे तरीके से सब तक पहुचाया।
अच्छी कविता के लिये बधाई।
करण,
बहुत हीं अच्छे तरीके से तुमने अपने विचारों को पेश किया है। ऎसे हीं लिखते रहो। मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ है।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)