जीवन के रस - योगेश रंगद्ल
प्यारे बच्चो,
नियमित बाल-साहित्य-सृजक की अनुपस्थिति में हमारा प्रयास रहता है कि आपकी रचनाओं को भी हिन्द-युग्म के इस मंच पर जगह दी जाय ताकि आपकी रचानात्मकता भी निख़र कर बाहर आ सके। यदि आप भी लिखते हैं तो शर्माना छोड़िये और अपनी रचनाएँ, परिचय व फोटो सहित bu.hindyugm@gmail.com पर भेजिए। बच्चो, इसी कड़ी में आज आपके समक्ष औरंगाबाद, महाराष्ट्र के योगेश रंगद्ल अपनी रचना "जीवन के रस" लेकर आये हैं। इनका संक्षिप्त परिचय इस प्रकार है -.jpg)
योगेश रंगद्ल
-: कक्षा :-
दसवीं
-: विद्यालय :-
एस.बी. ओ.ए. पब्लिक स्कूल
-: शहर :-
औरंगाबाद, महाराष्ट्र
जीवन के रस...
जीवन के हैं अनेक रस
पीकर हुए कई मदहोश
जीवन है उड़ती चिड़िया का नाम
बिन लक्ष के हो जाओगे गुमनाम
जीवन की गाड़ी रुक जाए
गर मंज़िल तक न पहुँच पाए
जीवन है एक ऐसी नैया
टकराकर लहरों से पार लगा ले भैया
जीवन से खेल महंगा पड़ेगा
संभालने का समय फिर न मिलेगा
अपने कुकर्मों से कर न इसे बरबाद
साथी..सुकर्मों से करले इसे आबाद
ये जीवन ईश्वर की देन अनमोल
पीले रस तू ओ साथी कहकर मीठे बोल....
- योगेश रंगद्ल

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9 पाठकों का कहना है :
योगेश,
बहुत अच्छा प्रयास है तुम्हारा। इसी तरह यत्न शील रहो तुममे गहरी प्रतिभा संन्निहित है।
*** राजीव रंजन प्रसाद
bahut achhe yogesh
योगेश..
जीवन है उड़ती चिड़िया का नाम
बिन लक्ष के हो जाओगे गुमनाम
अपने कुकर्मों से कर न इसे बरबाद
साथी..सुकर्मों से करले इसे आबाद
ये पंक्तियाँ...एक अच्छा विद्यार्थी ही लिख सकता हे...
आपकी ये रचना बहुत अच्छी हे आप और अच्छा लिखें
सुभकामनाओं के साथ
सुनीता यादव
ये जीवन ईश्वर की देन अनमोल
पीले रस तू ओ साथी कहकर मीठे बोल....
हुत ही सुंदर लिखा है आपने ..यह बात आपने बहुत ही सुंदर कही है! यूं ही लिखते रहे ...
शुभकामना और स्नेह के साथ
रंजू
बहुत अच्छे योगेश । इतनी कम उम्र में जीवन को इतना सुन्दर परिभाषित किया है ।
योगेश,
जीवन को काफी अच्छे से परिभाषित करने की कोशीश की है...
अच्छी रचना... आगे लिखते रहो बहुत आगे बदो
प्रिय योगेश,
बहुत ही सुन्दर कोशिश है, बहुत अच्छा प्रयत्न है आपका, लिखते रहियेगा..
जीवन से खेल महंगा पड़ेगा
संभालने का समय फिर न मिलेगा
अपने कुकर्मों से कर न इसे बरबाद
साथी..सुकर्मों से करले इसे आबाद
ये जीवन ईश्वर की देन अनमोल
पीले रस तू ओ साथी कहकर मीठे बोल
बढिया लिखा है.. बधाई व शुभकामनायें
प्रिय योगेश, आपकी रचनाओं में छिपे संदेश बच्चों को पसंद आएंगे और उन्हें नई राह दिखाएंगे। बधाई।
अपने कुकर्मों से कर न इसे बरबाद
साथी..सुकर्मों से करले इसे आबाद
बहुत हीं सुंदर पंक्तियाँ हैं योगेश। तुम एक अच्छे इंसान और अच्छे कवि की निशानियाँ दीख रही हैं। आगे ऎसे हीं लिखते रहो।मेरी शुभकामनाएँ तुम्हारे साथ हैं।
-विश्व दीपक 'तन्हा'
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