जैसे को तैसा
बच्चों आज मै आपको एक लोमड़ रानी औरे एक बगुले की कहानी सुनाने जा रही हूँ...
सुनो ध्यान लगा कर ये कहानी
एक था बगुला एक थी लोमड़ रानी...
एक दिन दोनो दोस्त बने
एक दूजे से गले मिले...
फ़िर लोमड़ ने कहा बगुले से
आना दावत खाने घर पर मेरे...
सुनकर लोमड़ का आमंत्रण
बगुला बहुत ही प्रसन्न हुआ...
सज-धज कर निकला घर से
लोमड़ के वो घर पहुँचा...
लेकिन लोमड़ बड़ी सयानी
दावत में भी कंजूस रही
बैठा बगुले को कुर्सी पर
शोरबा भी प्लेट में परोस रही...
लम्बी नुकीली चोंच से बगुला
कुछ भी खा न पाया
उधर लोमड़ ने लप-लप करके
शोरबा सारा चाट खाया..
बगुला बहुत ही दुखी हुआ
कुछ न बोला लोमड़ से
आभार जता कर दावत का
बुलाया उसको भी दावत पे...
लोमड़ रानी प्रसन्न हुई
सोचा कितना पागल है
मैने कितना बुध्दू बनाया
फ़िर भी कितना कायल है
अब बगुले की बारी आई
किया जैसे को तैसा
लम्बी गर्दन के बर्तन में
लोमड़ को सूप परोसा
लोमड़ कुछ भी खा न सकी
हाथ मलती रह गई
बगुला सारा सूप पी गया
लोमड़ जीभ लटकाती रह गई
अब लोमड़ की समझ में आया
जैसे उसने बगुले को उल्लू बनाया
बगुले ने भी उसे बुलाकर
वैसा दावत का ऋण चुकाया..
तो बच्चों मानो बात ये मेरी
सौ बातों की बात अकेली...
जैसे तो तैसा मिलता है
यही नियम है जग का
करो न धोखा जीवन में
नही मिलेगा तुमको धोखा...
तो प्यारे बच्चो आपको यह कहानी कैसी लगी बताना...और इस कहानी में आप ही कि तरह एक बाल कलाकार (आदित्य चोटिया) की बनाई तस्वीरें लगाई गई है
अच्छा तो फ़िर मिलेंगे कहानी-काव्य के साथ...आप सभी को दशहरे की हार्दिक बधाई...
सुनीता(शानू)
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12 पाठकों का कहना है :
आपको भी दशहरे की हार्दिक बधाई. आपकी अच्छा संदेश देती काव्य कथा और आदित्य की बनाई तस्वीरें बहुत पसंद आई. बधाई.
सुनीता जी,
कहानी तो मनोरंक है ही, इसका काव्यानुवाद भी उतना ही श्रेष्ठ बन पडा है। आदित्य के बनाये चित्र इस में चार चाँद लगा रहे हैं।
मनोरम प्रस्तुति के लिये बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
waah maza aaya
सुनीता की
कहानी सुनी हुई थी पर काव्य रूप में आपसे सुनी । बहुत अच्छी लगी । बच्चे प्रेरणा लें यही कामना है ।
सस्नेह
सुनिता जी...
कहानियों को काव्य रूप आप बहुत अच्छी तरीके से देती है और साथ मे आदित्य ने भी बहुत अच्छी तसवीर बनाई।
आपकी कविता बहुत ही संदेशप्रद है...
आपको भी दशहरे की और आपके सुन्दर कविता की हार्दिक बधाई।
सुनीता जी,
एक शिक्षाप्रद कहानी का सुन्दर कविता रूपान्तरण किया है आपने और बेटे ने चित्र भी वहुत सुन्दर बनाये हैं ..
दोनों को बधाई
लोमड ने दिया बगुले को
दावत का घर पर आमंत्रण
शोरबा, चपटे बर्तन में डाल दिया
खुद तो चट-चट-चट चाट गयी
बगुले का रोता मन क्षण-क्षण
बगुले ने भी लोमड को एक दिन
दावत का दिया निमंत्रण
सूप, सुराही में परोसा..
लोमड को याद आया अब
बगुले को दिया हुआ धोखा
आ गये सामने खुद के लक्षण
जैसी करनी वैसी भरनी
सन्देश दे रहा है सबको
चित्रों से सजा ये प्यारी सी
कहानी का कविता रूपांत्रण
नहीं धोखा देगें किसी को भी
आओ करते हैं सब ये प्रण.
आओ करते हैं सब ये प्रण.
आओ करते हैं सब ये प्रण.
-
सुनीता जी, बहुत ही अच्छी कहानी सुन्दर चित्रों से सजी हुई,
आपको व प्रिय आदित्य को इन प्यारे प्यारे चित्रो व इस शिक्षाप्रद प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई व
- राघव
कहानियों का काव्य रूप में प्रस्तुतिकरण अच्छा है। बधाई।
जितनी सुंदर कहानी उतने ही सुंदर चित्र ,,बधाई सुनीता जी !!
गुरूदेव आपके आशीर्वाद के बिना तो हर बात अधूरी है,राजीव जी,सजीव जी,शोभा जी,रचना जी,
मोहिन्दर जी,रजनीश जी एवं रंजू जी..आप सभी लोगो का बहुत-बहुत शुक्रिया...भुपेंद्र जी आपने भी कमाल कर दिया बहुत सुन्दर लिखा है...
सुनीता(शानू)
सुनीता जी,
आपकी लेखनी और आदित्य की कूंची (चित्र के लिए) दोनों ने इस कहानी को बहुत हीं मनोरंजक और जीवंत बना दिया है। बहुत हीं कुछ सीखने को मिला।
very nice and helpful
thx
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