पेड मत काटो...
(प्यारे बच्चों, पर्यावरण को बचाना आज सबसे बडी आवश्यकता है और यह पुनीत कार्य आप कर सकते हो वृक्ष लगा कर। आज आपके मित्र योगेश जाधव वृक्ष का महत्व आपको समझाने प्रस्तुत हुए हैं।)
मत काटो हमें क्योंकि
संसार को हम बचाते हैं
जग की शोभा बढ़ाते हैं
पक्षियों को हम ललचाते हैं...
हमारे ही कारण होता है
वर्षा का हँसमुख आगमन
जिसके कारण ही होता है
किसान का खुशहाल चमन....
हमारे ही फल तुम खाते हो
और खाकर भूल जाते हो
नहीं समझते हमारे कर्म को
जो उत्साहित करते हरियाली को....
मत काटो हमें निर्दयी मानव
जिस पर तुम्हारा जीवन निर्धारित है
हम भी रहें....तुम भी रहो....
यह बात समझनी ज़रूरी है ....
योगेश जाधव
कक्षा:9 वीं
एस. बी.ओ. ए.पब्लिक स्कूल,
औरंगाबाद, महाराष्ट्र

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9 पाठकों का कहना है :
बेटा योगेश, अभी से तुम्हारी संवेदनाएं इतनी जागृत है अपने पर्यावरण के प्रति, यकीनन अपनी कलम का इस्तेमाल इस तरह सार्थक अंदाज़ में करते रहो, बहुत बहुत बधाई
पर्यावरण के प्रति तुम्हारी सोच निश्चय ही सराहना की पात्र है। कविता बहुत अच्छी लिखी गयी है। बहुत बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
योगेश जी,
पेड़ काटने वाले पापियों को आपने जो सलाह दी है, उससे उनको शर्म तो आनी चाहिए। जब बच्चे को इतनी समझ है तो भी बूढ़े ऐसा करते हैं। हद है।
bahut achche yogesh.. tumhari soch aur kavita dono bahut hi achche hain
आपने इतने गम्भीर विषय पर अपने विचार प्रकट किये, देख कर अच्छा लगा। आपकी यह सोच आगे भी ऐसे ही नये लोगों को राह दिखाती रहे, ईश्वर से यही कामना है।
प्रिय योगेश
तुमने अपनी कविता में बहुत ही सुन्दर सन्देश दिया है । आज सच मुच पेड़ -पौधे यही पुकार लगा रहे हैं ।
इसी प्रकार लिखते रहो और जागृति फैलाते रहो । आशीर्वाद एवं प्यार सहित
बहुत सुंदर भाव ..यह पेड़ हमको जीवन दे जायेंगे इनको यदि हम काटने से बचा पायेंगे
बच्चे ही यदि या ठान ले आज तो हम अपने धीरे धीरे खत्म होते पर्यावरण को बचा सकते हैं बहुत बहुत बधाई योगेश!!
बहुत अच्छे, योगेश!
एक बहुत सुंदर और महत्वपूर्ण संदेश देती आपकी यह कविता पसंद आई. आपके जैसे विचार मानव-संस्कृति को बचाने के लिये अत्यंत आवश्यक हैं क्योंकि प्रकृति से खिलवाड़ करके मानव स्वयं अपने विनाश का मार्ग प्रशस्त कर रहा है.
सुंदर और सोद्देश्य रचना के लिये बधाई!
वर्षा का हँसमुख आगमन
किसान का खुशहाल चमन....
हम भी रहें....तुम भी रहो....
यह बात समझनी ज़रूरी है
भाई योगेश,
तुमने तो बहुत हीं सुंदर कविता लिखी है। पर्यावरण से तुम्हारा प्रेम बड़े-बड़ों के लिए प्रेरणादायक हो, यही कामना करता हूँ।
-विश्व दीपक
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