चाँद चुप बैठा है गुमसुम..
चांद चुप बैठा है गुमसुम
भैय्या उसके मन की सुन
कैसे जाएगा स्कूल
पूरा आसमान है कूल
आ गई धीरे - धीरे ठंड
बोलती चंदा की है बंद
करेगा होमवर्क कैसे
सारी रात पढे कैसे
शिफ़्ट हो डे की तो भी ठीक
युंही हर बार वो रहता झींक
सूरज को ओर्डर दिलवा दो
मेरे घर गीज़र लगवा दो
नहीं वो मानेगा इस बार
जाएगा दिल्ली सदर बाज़ार
कोट दस-बारह लाएगा
वरन ना पढने जाएगा
मगर पढना है बेहद मस्ट
सदर की भीड़ है चलना कष्ट
चलो ओर्डर दिलवाउंगा
कोट पार्सल करवाउंगा
भैय्या उसके मन की सुन
कैसे जाएगा स्कूल
पूरा आसमान है कूल
आ गई धीरे - धीरे ठंड
बोलती चंदा की है बंद
करेगा होमवर्क कैसे
सारी रात पढे कैसे
शिफ़्ट हो डे की तो भी ठीक
युंही हर बार वो रहता झींक
सूरज को ओर्डर दिलवा दो
मेरे घर गीज़र लगवा दो
नहीं वो मानेगा इस बार
जाएगा दिल्ली सदर बाज़ार
कोट दस-बारह लाएगा
वरन ना पढने जाएगा
मगर पढना है बेहद मस्ट
सदर की भीड़ है चलना कष्ट
चलो ओर्डर दिलवाउंगा
कोट पार्सल करवाउंगा
- प्रवीण पंडित

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
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कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
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बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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9 पाठकों का कहना है :
हा हा हा
बहुत खूब प्रवीन जी, मज़ा आ गया
"कितनी प्यारा चन्दा और कितनी प्यारी बातें"
"नट्खट बचपन से ये सुन्दर मुलाकातें"
"सच में 'प्रवीण' हो बचपन को जगाने में"
"कहाँ छुपे थे अब तक, क्यूँ देर की आने में"
मेली ओल छे बहुत छाली बधाई..
आदरणीय प्रवीण जी..
आज लगता है कि आपकी कविता का प्रताप है जो सदी का सबसे चमकदार चाँद आसमान पर है। आपने याद दिला दिया कि गुलाबी ठंड अब बढने लगी है, बिटिया कविता सुनते ही कोट खरीदवाने की जिद पर है...आपकी कविता जेब पर तो भारी है :)
बच्चो के लिये आपकी कलम इस तरह चलती है जैसे आप स्वयं उस बचपन को जी कर लिखते हों..
बधाई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
बहुत ही प्यारी कविता है। बच्चों की मन की बात आपने कह दी है।
हमारी प्यारी नन्ही सी कुहू...सचमुच चाँद से कम नही...मुझे भी फ़िक्र हो रही है कैसे जायेगा चाँद स्कूल...भई कोट दिलवाओ जल्दी उसे...वरना मुकुट लगाये एसे ही बैठा रहेगा...
सुनीता(शानू)
बहुत सुंदर और मासूम सी कविता, मेरे बचों को भी खूब भायी, प्रवीण जी बहुत बहुत बधाई
प्रवीण जी,
बच्चो को चाँद का माध्यम बना बहुत ही सुन्दर कविता दी है आपने..
बिल्कुल बच्चो के मन की बात कह दी...
इतनी सुंदर कविता के लिये बहुत बहुत बधाई..
बहुत सुंदर कविता है यह मासूम सी बधाई।
बाल साहित्य के सृजकों का यही उद्देश्य होना चाहिए कि मस्ती-मस्ती में संदेश दे जायँ। बहुत खूब।
बहुत मज़ा आया |
बहुत - बहुत ..
बधाई
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