Saturday, October 27, 2007

दिनचर्या


सुबह सुबह ही चिडिया बोली
कानो मे अमृत सी घोली
सुबह सुबह

झट-पट बच्चों जागो तुम
करो प्रभु का धन्यवाद तुम
माँ-बाबा को करो प्रणाम
सुबह सुबह

नित्य क्रिया से जब निपटो
पहले मुँह हाथ धो लो
फिर ध्यान लगा कर करो पढाई
सुबह सुबह

हलका नाशता कर लो
भर के ग्लास दुध पियो
बनो स्ट्रॉंग जैसे हनुमन
सुबह सुबह

ड्रेस पहन कर स्कूल चलो
बिन शैतानी, खूब पढो
तुम बन दिखलाओ विद्वन
सुबह सुबह

स्कूल से लौट आराम करो
फिर फ्रेश हो कर कुछ खा लो
फिर जी भर खेलो कूदो
सचिन बनो तुम

दिन रहते घर आ जाओ
होमवर्क सब निपटाओ
सुनो कहानी दादी माँ से
प्यार करो दादू संग तुम
शाम ढले

डट कर खाना खाओ फिर
और टहल कर आओ फिर
सोने से पहले ब्रश करना
और प्रभु को धन्यवाद
रात समय

फिर प्यार से सो जाओ
सपनों की दुनिया बनाओ
चाँद पर भी घूम आओ
रात ढले

- रचना सागर


आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

4 पाठकों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

इतनी सुन्दर दिनचर्या..
सुनो हमारी प्रतिक्रिया..
कहा आपने बिलकुल ठीक..
बच्चे सीखें अच्छी सीख..
इसी क्रम में करें जो काम..
जग में होगा ऊँचा नाम..
"रचना" की रचना सागर..
बच्चों सच में गुन-गागर..
बच्चों रखना बातें याद..
दी दी को बोलो धन्यवाद..

- बच्चों की और से

राजीव रंजन प्रसाद का कहना है कि -

रचना जी,


बहुत अच्छी दिनचर्या है। इस टाईमटेबल का प्रिंटाउट ले कर बच्चों के कमरे में लगाना पडेगा। बधाई।


*** राजीव रंजन प्रसाद

रंजू भाटिया का कहना है कि -

बहुत ख़ूब रचना जी बच्चो के लिए मजेदार है :) और छोटी सी बच्ची बहुत प्यारी ...

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

आशा है जिन बच्चों की दिनचर्चा ऐसी नहीं होगी, वे भी अब रचना जी की कविता से प्रेरणा पाकर इस दिनचर्या का पालन करेंगे।

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)