मेरी चित्र कथा...
बच्चों यानि कि मेरे प्यारे प्यारे दोस्तों!!
बात तब की है जब मैं बहुत छोटी थी। छोटी तो अब भी हूँ, क्योंकि अब भी पापा मुझे गोदी में उठाते हैं। लेकिन यह घटना तब की है जब मैं केवल गोदी में रहती थी और घुटने के बल ही चला करती थी। उस शाम पापा और मम्मी एक फिल्म देख रहे थे। फिल्म बडी मजेदार थी जिसका नाम था “बेबी डे आउट”। मेरे जैसा ही शैतान बच्चा उसमें बहुत धमाल मचाता है और अच्छों-अच्छों की नाक में दम करता है। फिल्म देखते हुए, पापा ऑफिस के किसी टूर पर जाने की बात कर रहे थे। ऑफिस के टूर का मतलब है कि वो मुझे नहीं ले जायेंगे। यह बात मुझे उदास करने लगी। मैंने भी आईडिया लगा लिया।
शाम को जब मम्मी पापा के टूर जाने की तैयारी कर रही थी मेरी नजर पापा के सूटकेस पर पडी। सूटकेस इतना बडा था कि मैं आराम से उसमें बैठ कर छुप सकती थी। मेरे दिमाग में आईडिया का बल्ब जल उठा। मम्मी की नजर बचा कर मैंने बैग में तकिया डाला। इससे मेरा सफर आराम दायक बन जाता और मैं पापा के बैग में छिप कर पापा के साथ घूम भी आती। अब मैं बैग के अंदर घुस कर यह देखने की कोशिश करने लगी कि मेरी योजना में कहीं कोई कमीं तो नहीं है।
लेकिन हमेशा सोचा हुआ नहीं होता।
बैग मेरी धमाचौकडी से हिल गया और उसका ढक्कन बंद। अब मैं बैग के अंदर थी और भीतर बहुत अंधेरा था।
अंदर मुझे साँस लेने में दिक्कत होने लगी। एक दिन पापा से ही मैने सुना था कि साँस लेने के लिये ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है और बंद जगह में ऑक्सीजन कम होने से घुटन हो जाती है। मुझे भी बैग के भीतर घुटन होने लगी, लेकिन मुझे यह भी समझ में आ गया था कि मेरी योजना फेल हो गयी है। मम्मी की आवाज मुझे सुनाई दे रही थी। कुहू-कुहू का शोर मचाती हुई वो मुझे ढूंढ रही थीं। ये बडे भी बहुत परेशान करते हैं बच्चों को थोडी देर भी अकेला नहीं रहने देते। मैंने भी सोचा कि पापा के साथ टूर न सही मम्मी के साथ लुका-छिपि ही सही।
मम्मी सही कहती हैं कि मुझे शांत बैठना नहीं आता। बैग को हिलता देख मम्मीं नें मुझे ढूंढ निकाला।
मम्मी को देख कर मैं मुस्कुराने लगी। मम्मी को भी मेरा खेल बहुत अच्छा लगा था क्योंकि वो भी मुझे देख कर हँसने लगीं थीं।
फिर मम्मीं नें मुझे बाहर निकाला।
बैग के उपर बिठा कर पूछा “अगर अंदर ही रह जाती तो?”।
मैं भी यह सोच कर डर गयी। शरारत एसी करनी चाहिये जो अपना या दूसरे का नुकसान न करे। कभी भी अकेले कमरे में अंदर से छिटकनी नहीं लगानी चाहिये, बाथरूम अंदर से बंद नही करना चाहिये अगर हाथ ठीक से कुंडी तक नहीं पहुँचता हो। साथ ही अंधेरी या बंद जगह छिपना भी नहीं चाहिये इसमे दम घुटने का खतरा हो सकता है। मुझे यह मजेदार सबक मिल चुका था।
- आपकी कुहू
*** राजीव रंजन प्रसाद
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12 पाठकों का कहना है :
राजीव भाई
कुहू की चित्र कथा के माध्यम से एक बहुत आवश्यक और सुन्दर संदेश दे डाला. कुहू बहुत प्यारी बच्ची है. उसे हमारा स्नेह दें.
राजीव जी,
कुहु के चित्रन के साथ बहुत ही सुंदर संदेश दिया है आपने....
आशा है बच्चों के साथ बडो को भी ये संदेश अच्छे से समझ आयेगा..
वाह!! कुहू की कहानी कुहू की जुबानी सुन के बहुत मज़ा आया
सीख की सीख और साथ में पढने की मिली बहुत मजेदार शरारत :)
बहुत प्यारी लगी यह चित्र कथा ..कुहू को बहुत सारा मेरा प्यार :)
बहुत खूब! कुहू चहकती-महकती रहे।
kuhu ki kahaani aachi hai.....kya yeh sach much ki ghatna hai rajeevji.......kuhu ki itni pyaari pyaari tasveeren dekhne me mazaa aata hai......luv to kuhu....
कुहू की जुबानी सुन कुहू की कहानी रे.
शरारत में लगती है सब बच्चों की नानी रे.
नटख़ट सी प्यारी कुहू चतुर, सयानी रे.
पापा संग जाने की खूब मन में ठानी रे..
कितनी सुहानी बाला कितनी सुहानी रे.
-ढेर सारा प्यार और शुभकामनायें
राजीव जी
कुहू तो बहुत जल्दी बहुत बड़ी हो गई । अपनी कहानी भी सुनाने लगी । बधाई हो । उसका अनुभव बच्चों के
लिए उपयोगी होगा यही आशा है । हमारी प्यारी कुहू को बहुत-बहुत प्यार तथा उसके मम्मी -पापा को बधाई ।
अरेएए वाह!! कुक्कू तो बहुत प्यारी बिटिया है!! और बहुत सयानी भी!!!
कहानी की कहानी और एक बहुत ही महत्वपूर्ण संदेश भी... सुन्दर चित्रो के साथ...
राजीव जी !
कुहु के चित्र कथा के माध्यम से .....
बच्चों के साथ बडो को भी सुंदर संदेश ....
कुहु की शरारत बहुत प्यारी लगी ....
वाह!!!!
कुहू को स्नेह
waah rajeev ji, bahut sundar prastuti, kuhu ko dher sara pyaar
जितने सुन्दर चित्र, उतनी सुन्दर कहानी। और कहानी कहने वाला उससे भी प्यारा। वाह भई वाह, मजा आ गया। बहुत बहुत बधाई।
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