Thursday, August 14, 2008

प्रतिज्ञा


तीन रंग का अपना झंडा
सबसे ऊँचा फहराएँगे,
हो भारत जग में अग्रिम सदा
कर्म देश हित कर जाएँगे ।

भेदभाव से दूर रहें हम
विश्व बंधु का अपना नारा,
प्रेम जगाएँ हर मानस में
बन फूल खिले हर जन प्यारा ।

हर विपदा से लोहा लेकर
हर बाधा को पार करेंगे,
घर घर में हम दीप जलाकर
अंधकार को दूर करेंगे ।

सत्कर्मों के पुष्प खिलाकर
सुमन सुरभि हम बिखराएँगे,
देशभक्ति के सच्चे राही
नाम देश का कर जाएँगे ।

निज गौरव, निज मान हेतु हम
जान निछावर कर जाएँगे,
स्वाभिमान के धनी बहुत हैं
देश हेतु खुद मिट जाएँगे ।

ज्ञान, विज्ञान नया सीखकर
कीर्ति ध्वजा हम फहराएँगे,
उजियारा हर जीवन फैले
ज्ञान ज्योति से भर जाएँगे ।

प्रगति पथ विश्वास से बढ़कर
हर क्षेत्र क्रांति कर जाएँगे,
खुशियां हर जीवन में छाएँ
कर्म देश हित कर जाएँगे ।

कवि कुलवंत सिंह


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3 पाठकों का कहना है :

Prem Chand Sahajwala का कहना है कि -

ek prernadayak sundar kavita jis kee asha kewal kulwant jee se kee ja sakti hai.

kavi kulwant का कहना है कि -

aap ka haardik dhanyavaad..

गुड्डोदादी का कहना है कि -

beta KULVANT JEE KEE KAVITA KAA JADOO MUN KEE GEHRAION KEE TAAR CHHOO LETA HAI
GODD JOB
BIBI FROM CHICAO

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