प्रतिज्ञा
तीन रंग का अपना झंडा
सबसे ऊँचा फहराएँगे,
हो भारत जग में अग्रिम सदा
कर्म देश हित कर जाएँगे ।
भेदभाव से दूर रहें हम
विश्व बंधु का अपना नारा,
प्रेम जगाएँ हर मानस में
बन फूल खिले हर जन प्यारा ।
हर विपदा से लोहा लेकर
हर बाधा को पार करेंगे,
घर घर में हम दीप जलाकर
अंधकार को दूर करेंगे ।
सत्कर्मों के पुष्प खिलाकर
सुमन सुरभि हम बिखराएँगे,
देशभक्ति के सच्चे राही
नाम देश का कर जाएँगे ।
निज गौरव, निज मान हेतु हम
जान निछावर कर जाएँगे,
स्वाभिमान के धनी बहुत हैं
देश हेतु खुद मिट जाएँगे ।
ज्ञान, विज्ञान नया सीखकर
कीर्ति ध्वजा हम फहराएँगे,
उजियारा हर जीवन फैले
ज्ञान ज्योति से भर जाएँगे ।
प्रगति पथ विश्वास से बढ़कर
हर क्षेत्र क्रांति कर जाएँगे,
खुशियां हर जीवन में छाएँ
कर्म देश हित कर जाएँगे ।
कवि कुलवंत सिंह
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3 पाठकों का कहना है :
ek prernadayak sundar kavita jis kee asha kewal kulwant jee se kee ja sakti hai.
aap ka haardik dhanyavaad..
beta KULVANT JEE KEE KAVITA KAA JADOO MUN KEE GEHRAION KEE TAAR CHHOO LETA HAI
GODD JOB
BIBI FROM CHICAO
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