नन्हे मुन्नों के लिए कुछ नन्ही-नन्ही कविताएँ (आओ गाएँ)
१.
आओ बच्चो, खेलें खेल
बिन इंजन के चलती रेल
इक दूजे के पीछे आओ
लम्बी पंक्ति एक बनाओ
जगह एक हाथ की छोड़ो
इक दूजे के कंधे पकड़ो
बन जाएगी ऐसे फिर चेन
देखो कितनी प्यारी ट्रेन
२.
लाला जी ने केला खाकर
तोंद बढाकर मुँह बिचकाकर
छिलका बीच सड़क के गिराया
फिर लाला ने कदम बढ़ाया
छिलके पर रख दिया कदम
गिर गए बीच सड़क में धम्म
३.
गली में आया बन्दर मामा
लाला जी का लिया पजामा
उनकी टोपी भी उठाई
पहन के बन्दर ले अँगड़ाई
४.
टर-टर टर-टर मेढक बोला
जब उसने अपना मुँह खोला
घिर-घिर गए अम्बर मे बादल
बरसा धरती पर वर्षा जल
५.
झूम-झूम के नाचे मोर
जब छाएँ बादल घनघोर
अपने सुन्दर पन्ख फैलाता
देख के उसको आनन्द आता
६॰
कुहु-कुहु करके बोले कोयल
मीठे गीत से मोह लेती दिल
बैठे जब अम्बुआ की डाली
कितनी प्यारी कोयल काली
७.
चँदा मामा खिले गगन में
रँग बिरँगे फूल चमन में
टिम-टिमाते नभ में तारे
लगते मुझको प्यारे-प्यारे
८.
रंग-बिरंगी तितली आई
नन्हे-मुन्ने के मन भाई
छेड़ के मुन्ने को उड़ जाए
उसको अपने पीछे भगाए
९.
रंग-बिरंगे खिले हैं फूल 
सुन्दर से तालाब के कूल
पीले लाल गुलाबी नीले
सुन्दर-सुन्दर रंग रंगीले
१०.
ट्रिन-ट्रिन ट्रिन-ट्रिन फोन की घण्टी
सुनकर दौड के आया बण्टी
फोन उठा कर बोला हैलो
आओ मेरे संग में खेलो
रचयिता- सीमा सचदेव

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3 पाठकों का कहना है :
इतने सरल शब्दों में इतने रोचक ढंग से बात कहना ,एक टेढी खीर है |
आपकी शुभाकान्छी
bahut khoob seema ji..
इनके लिए सिर्फ इतना ही कहूंगा- देखन में छोटी लगें, आनन्द देंय भरपूर।
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