वृक्ष - ईश
विष पी शिव ने जहाँ बचाया,
धर कण्ठ मृत्यु को भरमाया,
जग ने उनका मान बढ़ाया,
ईश बना कर हृदय बसाया ।
 
विष्णु मोहिनी रूप बनाया,
देवों को अमरित पिलवाया,
मोहित दैत्यों को भरमाया,
जगत ईश का दर्जा पाया ।
 
देवों से बढ़ वृक्ष हमारे,
विष इस जग का पीते सारे,
विष पी बनाते अमृत न्यारे,
जीवन यापन बने सहारे ।
 
वृक्ष हमारे जीवन दाता,
इनसे अपना गहरा नाता,
सुखी बनाते बनकर भ्राता,
जग उपकार बहुत से पाता ।
 
आओ वसुधा वृक्ष लगाएं,
वृक्ष लगा कर धरा सजाएं,
देव ईश सा मान दिलाएं,
जीवन अपना स्वर्ग बनाएं ।
 
कवि कुलवंत सिंह

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6 पाठकों का कहना है :
vrichhon ka achchha vardan hai.
bahut sundar vichar abhivyakti . badhiya rachana . dhanyawad
" beautiful potery to read, thanks"
Regards
Thanks a lot dear friends!
कुलवंत जी,
बढ़िया है, बहुत बढ़िया
बहुत अच्छे कुलवंत जी.
आलोक सिंह "साहिल"
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