साढ़े तीन साल की लड़की द्वारा रचित एक बाल-कविता
3.5 वर्षीय मन मिश्रा की कविता 'एक चूहा'
आज हमें एक बाल-कविता प्राप्त हुई जिसे ३ साल ६ महीने की एक लड़की मन मिश्रा ने रचा है। ५ जनवरी २००५ को जन्मी मन ने अभी कुछ महीनों पहले ही रियॉन इंटरनेशनल स्कूल, शाहजहाँपुर (यूपी) में नर्सरी कक्षा में प्रवेश लिया है। कृपया पढ़ें और मन को प्रोत्साहित करें।
एक चूहा था ,
पानी में रहता था
बाहर निकल कर आया,
मम्मी से पूछा
टोय्स (खिलोने ) फैला लें,
मम्मी ने कहा ..........................नहीं।
--मन मिश्रा
प्रेषक- नीलम मिश्रा
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)
12 पाठकों का कहना है :
Man beta jitani pyaari aap ho utani pyaari aapki kavita hai . Likhati rahna aur hame apni pyaari-pyaari nanhi-munni kavitaayen padhane ka suavasar bhi dena .Dhero shubh-kaamnayen......seema sachdev
मन के मन की बात निराली
कविता बनकर बाहर आली
या तो बिखरीं किरन सूर्य से
या फिर फूलों वाली डाली....
बडी प्यारी कविता लिख ली राजकुमारी ने..
ईश्वर से बच्ची के सुखद भविष्य के लिये कामना..
मन,
मुझे तुम्हारी कविता पढ़कर बहुत अच्छा लगा। बहुत ही खूबसूरत। आगे कुछ लिखना तो ज़रूर भेजना।
चूहे की कविता तो बहुत ही सुंदर है, नन्ही कवयित्री को ढेरों शुभकामनाएं.
अरे वाह मन!
एकदम नाम की तरह आप और आपका काम भी खूबसूरत है। कविता बहुत सुंदर है।
ऎसे हीं प्याली-प्याली(प्यारी-प्यारी) कविताएँ लिखते लहिए(रहिए)!!
-विश्व दीपक
बहुत अच्छा बच्चे।
प्यारी सी कविता
सुमित
मन जी की बहुत मनमोहनी कविता
Man beta aapne to abhut achi aur cundhal kavita likhi hai badhai.aap aur is tarah titli, chidiya, ful aadi par bhi kavitha likh sakti hain. Bahut khoob.
C.R.Rajashree
नन्ही मन को पूरे 100 मन बधाई।
मन बिटिया को कविता लिखने और उसके प्रकाशित होने की बहुत बधाई । वैसे चूहे की मम्मी ने यह गलत किया कि उसको खिलौने फैलाने नहीं दिये । चूहा पानी में रहता था । उसके खिलौने भी पानी में रहते थे और भीगे हुए थे । वह उनको फैलाकर सुखाना चाहता था । अरे भाई जब उन्हें वह सुखाता तभी तो खेलता ! मम्मी को सोचना चाहिए कि बच्चे खेलेंगे नहीं तो स्वस्थ कैसे रहेंगे । और फिर पढ़ाई कैसे करेंगे । पर चूहा भी कितना अच्छा था कि मम्मी ने मना कर दिया तो उसने जिद नहीं की ।
कवि संसद के नन्हे संसद मन का स्वागत.
भोले मन की भोली भावनायें
क्यों न हम सबको रिझायें
नन्हीं कलम से बिखरे शब्द
आसमान की ऊचाईयों तक जायें
बहुत सुन्दर प्रयास
आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)