Tuesday, March 3, 2009

हितोपदेश-15 - लालची बाघ

नमस्कार बच्चो , आज पढिए हितोपदेश की कहानी लालची बाघ
लालची बाघ

एक बार था एक शिकारी
दुनिया उसकी प्यारी-प्यारी
था उसका छोटा परिवार
एक गाँव मे था घर-बार
रोज ही जन्गल मे वो जाता
एक पशु को मार के लाता
आकर घर म सबको खिलाता
जीवन ऐसे ही बिताता
इक दिन मृग खाने की चाह
निकल पडा जन्गल की राह
जाते ही मिल गया हिरन
सोचा उसने अच्छा दिन
झट से उसको मार गिराया
और फिर कन्धो पे उठाया
जा रहा था वापिस घर
देख लिया इक जन्गली सुअर
हिरन को नीचे झट से गिराया
जन्गली सुअर पे बाण चलाया
गरदन पार हुआ वह बाण
खतरे मे थी सुअर की जान
मरते-मरते वह गुर्राया
शिकारी को भी मार गिराया
मृग ,शिकारी और सुअर
गिरे पडे थे धरती पर
इतने मे आया इक बाघ
बोला मेरे जग गए भाग
इनको अकेले ही खाऊँगा
किसी को भी न बतलाऊँगा
पर मै पहले किस को खाऊँ
स्वाद का कैसे पता लगाऊँ
देखेगा थोडा सब चखकर
भरेगा पेट वो तब जाकर
सुअर की गरदन मे जो बाण
मास का उस पर है निशान
पहले वह उस मास को खाए
और स्वाद का पता लगाए
खाने लगा मास का टुकडा
बाण से कट गया उसका जबडा
चीर के जबडा सिर मे धँसकर
मरा बाघ उस तीर मे फँस कर
जो न बाघ यूँ लालच करता
तो वो ऐसे ही न मरता
जो न मन मे लालच आता
तो मजे से सबको खाता
**************************

चित्रकार - मनु बेतख्लुस जी


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9 पाठकों का कहना है :

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

असली बला सच सच
लालच !

क्या अभी भी नही पता चला है..
ये लालच बुरी बला है..

पर सच्ची में हमारे मन में एक लालच आ गया सुरीली आवाज सुनकर
कि जल्दी ही एक और काव्य कथा वाचन हो..

Ria Sharma का कहना है कि -

सीमा जी !!!

बहुत ही शिक्षाप्रद और सुन्दर भाव
सरल अंदाज़ में बाल मन को शिक्षित करने का नायाब तरीका .
बहुत खूब लिखा !!

मनुजी के चित्रों ने कविता में चार चाँद लगा दिए
बच्चो को चित्रों द्वारा आकर्षित कर के भाव समझाना आसान हो जाता है.

बहुत बधाई !!!

Divya Narmada का कहना है कि -

लय में सुधार की गुंजाइश होने पर भी अच्छी प्रस्तुति.

सीमा सचदेव का कहना है कि -

नमस्कार आचार्य जी
आपकी टिप्पणी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद |पढने में एक बार मुझे भी लय में कमी लगी लेकिन
फिर मैने इसे रिकॉर्ड किया , मै कभी किसी को अपनी रचना पढने के लिए कहती तो नहीं और न ही
यह कहना चाहिए लेकिन आपसे एक बार अवश्य निवेदन करुन्गी कि कृपया इसे www.nanhaman.blogspot.com पर सुनें और जहां कमी है और उसमें
कहां और कैसा सुधार किया जा सकता है ,मुझे अवश्य बताइएगा| मै पहले ही बता दूं कि उसमें मेरे से एक जगह जरूर
गलती हुई है ,जिसे शब्द इधर-उधर करके सुधारा जा सकता है , क्योंकि यह मैने रिकार्ड करने के बाद समझा और फिर दोबारा
सुधारने की तकलीफ नही की ,बाकी आप बताएंगे |

neelam का कहना है कि -

seema ji ,
manu ji ke chitra aur aapki kavita dono hi ,bahut bhaaye

aapki kavita hum record karenge yaa phir pooja ji se karwaayi jaayen to kaisa rahega mera apna maanna hai ki pooja ji ki aawaj bachchon ke liye behad saras hai .
aap mail dwara suchit kariye ki kaun si kavita aap record karwana chaahti hain

सीमा सचदेव का कहना है कि -

धन्यवाद नीलम जी ,
मेरी इच्छा की तो कोई बात ही नहीं है |
हमने लिखना था अच्छा/बुरा , वो लिख दिया |सो अपना काम खत्म और आप अगर किसी कविता/कहानी को आवाज देना चाहती हैं या
फिर पूजा जी से रिकॉर्ड करवाना चाहती हैं तो वो आप खुशी से कर सकती हैं |

manu का कहना है कि -

नीलम जी,
यदि हो ही रही हैं तो एक दो क्यूँ ,,जितनी भी संभव हो कराइए,,,,,,और आप जो समय समय पर कोई न कोई आयोजन करतीं हैं ,,उसमे भी सुनवाइये,,,,,
पर हाँ जो रचनाये सीमा जी की बाल उद्यान के अलावा हैं उन्हें अपनी आवाज दीजियेगा,,,

Divya Narmada का कहना है कि -

सीमा जी!
सादर वन्दे मातरम.
एक बार था एक शिकारी... क्या दोबार या अधिक बार भी कहा जा सकता है? शिकारी की उपस्थिति गिनती के स्थान पर काल से दर्शायी जाए तो ठीक हो- 'किसी समय था एक शिकारी' मुझे अधिक ठीक लगा. 'किसी को भी न बतलाऊँगा' के स्थान पर 'नहीं किसी को बतलाऊँगा', 'जो न मन में लालच लाता' की जगह पर 'अगर न मन में लालच लाता', 'तो मजे से सबको खाता' की जगह पर बहुत मजे से सबको खाता' पढ़ने पर मुझे अधिक सुगम लगा पढ़ने में. कृपया, अन्यथा न लें. मुझ विद्यार्थी को जैसा अनुभव हुआ कह दिया. आप ने रचना को लिखा और पढ़ा है- आपकी बात अधिक सही है.

Anonymous का कहना है कि -

Dhanyavaad AACHAARAYA JI ,
sarvpratham to mai yah spashat karana chaahungi ki mai har kisi ke kahe har shabd kaa svaagat karati hoo , isame anyatha lene vaalee to koi baat nahee hai aur aapne aisa kuch nahi kahaa ki usko anyatha liya jaaye . Aapne jo sujhaav diye un par aage se dhyaan rakhungi , khaas tor par kaal vaali baat jo pahale hamne kabhi sochi hi nahi , iske liye mai aapki aabhaari hoo .
yah hitopadesh ki kahaaniyaan hai jinko maine sirf kaavya roop dene kaa ek laghu paryaas kiya hai , 100% safal to nahi ho sakte , haa aap jaise mahaanubhaavo ke sahyog se ham bahut sudhaar kar sakte hai . kaavyaanuvaad maine kiya to kya huaa aap bhi to apne achche sujhaav dekar rachna ko uchch darja pradaan kar sakte hai . hamne akasar kisi bhee kahaani me ek baar ki baat hai..... jaisaa hi padhaa hai , lekin aapkaa sujhaav anukarneey hai . bahut bahut DHANYAVAAD.....SEEMA SACHDEV

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