सीमा जी, आचार्य जी, dreamer जी, नीति जी, रचना जी, शोभा जी, राघव जी व नाजिम जी
आप सभी को प्रतिभागिता में भाग न लेने पर दंड दिया जाता है ,अगली बार एक पहेली के दो -दो उत्तर कम से कम लिखने होंगे आप सभी को .........
इस बार की पहेली के जवाब हैं ,
१) आग
२)पगड़ी
३)आआआअकक्षी (छींक )
४)काली मिर्च
५)गिलहरी
सबसे पहले मनु जी ने सबसे सही उत्तर दिए जिसका आशय है की वो गहरे पानी में हैं
सुमित को निखट्टू ,और dschauhan ji भी थोडा मनमौजी माना जायेगा |
बच्चो की दुनिया में सब चलता है ,क्योंकि .........................................
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17 पाठकों का कहना है :
पहली बार कुछ लायक समझने का धन्यवाद,,,,,
पर अफ़सोस ....
आज फ्रंट पर सीमा जी का नाम है,,,,,गलती कट दी हमने जवाब देकर,,,
और चौथा नम्बर,,,,काली मिर्च ही क्यूं,,,,,???
सरसों का दाना क्यूँ नहीं,,,,,,,,?
पपीते का बीज क्यूँ नहीं,,,,,,,,,,,,?
चिरोंजी क्यूँ नहीं,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,?और,,और ,,,और,,,,,
और भी कई हैं जो परसों याद आये थे ,,अब ध्यान में नहीं,,,
चीटिंग,,,,,,,,,,,,,,?????????????/
अरे वाह मुझे भी नयी उपाधी मिली :-)
मनु भाई गहरे पानी मे सांस कैसे लेते हो आप, वो भी गहरे पानी मे बिना आक्सीजन के
मनु भाई वैसे आपकी जगह मेरा नाम भी आ सकता था पर मुझे तैरना नही आता इसलिए ब्रेक के बाद सही उत्तर बताने नही आया:-)
are waah!! mera naam fir bainar me aa gaya.maine to socha tha chalo manu ji ko mouka diya jaye,isliye is baar jawab nahi diye...aapka dand kubul hai neelam ji...dhaywaad
नीलम जी जो दंड दें, मुझे सहज स्वीकार.
सीमा जी यह देख लें, किसका अत्याचार?
किसका अत्याचार हुआ है फिर दण्डित नर.
नारी देती सजा सहे नर चुप रह हँसकर.
कहे 'सलिल' कविराय, नमन है ननद-सास को.
भौजी और बहू से पूछो मिले त्रास को.
दो - दो उत्तर एक पहेली के, क्या जमाना आ गया है फिल्मों में तो सुना था डबल रोल, अब पहेली में भी एनीवे...
चलों देंगे भाई दो-दो उत्तर पर किस्तों में कर दो थोडा हाथ टाइट है.. मतलव ये की पहेली आधी-आधी करके 2 बार में पूछ लेना जी..
या कहो तो उत्तर भिजवा दूँ पहेलियाँ इनके हिसाब से रख लेना, जितना काम निपट जाये जल्दी से ठीक है..
आगे पीछे करना आखिर
हम-तुम को मिल बाँटकर..
क्या मिल जायेगा फिर भैया
यूँ ही खा-म-खां डांटकर...
देख लिया आचार्य जी इक नारी का न्याय
पहला दण्ड ही नारी को पुरुष बाद में आए
पुरुष बाद में आए ये है नारी इंसाफ
नर से पूर्व नारी को दण्ड नही माफ
तभी तो नारी कहलाती भाग्य की रेख
करती पूरा न्याय , लिया यह सबने देख |
धन्यवाद नीलम जी ,
आखिर आपने हमें भी हैडलाईन में रख ही दिया और यह मनु जी को क्या हुआ है ,
मेरे नाम पर इतना घबरा क्यों गए , हमें भी तो हक बनता है न (ऊपर जाने का......:)))
आपकी सजा मंजूर |राघव जी का विचार बुरा नहीं है , गौर कीजिएगा , आचार्य जी नर को ही नही यहं तो एक नारी ने
नारियों को पहले दण्डाधिकारी समझा और देखिए न चार नारियां और चार ही नर | नीलम जी ने पूरा इंसाफ किया न नही तो नर तो और भी
दण्ड के अधिकारी थे |
सीमा जी! हम सदा से यही कह रहे बात.
नारी है सबला, नहीं अबला जग-विख्यात.
नारी की ही गोद में खेले-पाया प्यार.
कैसे चुप हो देखते रहें अश्रु की धार.
नारी नारी को रही देती खुद ही दंड.
'सलिल' शिकायत कर रही नर ही है उद्दंड.
नर-नारी अच्छे-बुरे दोनों होते सत्य.
रोना रोने से नहीं घटता है दुष्कृत्य.
आशा, हिम्मत, हौसला देगा यदि साहित्य,
बल पाए संघर्ष तब घटकर मिटे कुकृत्य.
नारी करे इंसाफ आचार्य समझ न पाए
इक सच्चे इंसाफ से जाने क्यों घबराए
जाने क्यों घबराए न हुई अनहोनी बात
साफ स्वच्छ नारी मन ही उत्तम सौगात
कह सीमा कविराय बात क्यों पड गई भारी
समझे सबको समान ,तभी तो सच्ची नारी
नर क्या नारी को नहीं समझ सका भगवान्.
मेरी क्या औकात है?, हूँ बिलकुल नादान.
हूँ बिलकुल नादान, समझिये मूरख बच्चा.
नारी शक्ति असीम, अकल का है नर कच्चा.
निर्बल नर कैसे कर सकता है उत्पीडन?
जब खुद नारी से पीड़ित हो करता क्रंदन.
सीमा नारी तय करती, खुद सीमा तोडे.
नारी तो नारी, नर को भी मुक्त न छोडे.
शिवा बिना शिव शव हो जाता, सत्य मानिए.
अघटित घटना का दोषी नर नहीं मानिए.
शिवा बिना शिव शव बात तो बिल्कुल सच्ची
पर न जाने क्यों नर की है बुद्धि कच्ची
नर की बुद्धि कच्ची झूठा अहं दिखाए
झूठ के पर्दे में रह खुद को ही भरमाए
अहंकार वश हो सत्य सत्य न माने
स्वयं को वो भगवान नारी को तुच्छ ही जाने
नहीं नर की औकात कहीं नारी के सिवा
शव हो जाता शिव जो न होती शिवा
नर -नारी हैं दोनों के सहयोगी ,
एक के बिना दूजा भला कैसे हो पहेली ?
आप को सजा याद रखनी है बाकी हमे कुछ नहीं पता |
दो वाक-वीर दो महाज्ञान दो परम तेज टकरावें
बातो से काटें बातों को बातों पर बात बनावें
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
सीमा नाम मगर असीमित महाविशाल एक दिल है
उधर दूसरी तरफ आचार्य जी सचमुच महा सलिल है
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
नारी-नर संग्राम हो गया पहेली के चक्कर में
कौन है भारी कौन अनारी देखो आज समर में
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
मेरे हिसाब से पूरक है एक दूजे के नर-नारी
एक दूजे को निबल समझना गलती होगी भारी
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
खतम नहीं जो यहाँ करूँगा खतम नहीं होवेगा,
पढने वाला मेरी टिप्पणी पढ़ पढ़ कर रोवेगा
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
हर - हर महादेव... नारी -नर सत्यमेव
सो फुल स्टाप..
राम राम
नहीं सलिल' ने नारी की निंदा में कलम चलायी.
नारी-पीडा के प्रलाप से सहमति नहीं जतायी.
एक नहीं दो-दो मात्राएँ, नर से भारी नारी.
कौन जीत सकता जब, चलने लगे ज़ुबां की आरी?
इसीलिये मनु जी मात्रा से करते हैं परहेज़.
है असीम सीमा नीलम की, धरती है जरखेज.
पिता भाई पति बेटे के, गुण नारी गिनवाए .
माँ बहिना पत्नी बेटी से, नर संसार बसाये.
'सलिल' बिना सब जग सूना है, कहते दास कबीर.
नारी के चरणों पर अर्पित, चुटकी भरा अबीर.
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साहित्यिक और सार्वजानिक मंचों पर सतही-व्यक्तिगत आरोप लगाना स्वस्थ्य परंपरा नहीं है. मतभेद स्वाभाविक हैं, उन्हें इस तरह मनभेद बनाना कितना उचित है पाठक विचार करें? मैंने इस चर्चा को हास्य भावः से लिया था..तल्खी कहाँ से आयी, नहीं पता. अस्तु मैंने जब जो लिखा पूरी जिम्मेदारी से लिखा, बिना किसी राग-द्वेष के लिखा. मैं मानता हूँ की साहित्य का उद्देश्य सत-शिव-सुन्दर है. अतः, किसी को क्लेश पहुँचाना मेरे लिए त्याज्य है. अस्तु...
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