गुरुवे नमः
कहाँ से आते चन्दा मामा
कैसे उगते रात सितारे
फल पेडों पर कैसे लगते
पेड़ खड़े है बिना सहारे
पश्चिम सारा लाल हो गया
काली अंधियारी रात फैली
छोटा सा मन बुझ ना पाता
सब कुछ लगता एक पहेली
विद्यालय में आते जैसे
जादू सारा समझ में आता
सहज सरल उदाहरण देकर
शिक्षक सारे भेद बताता
जो सूरज आकाश ना उगता
क्या हालत नजरों की होती
दृष्टी देते मात-पिता और
गुरु देते आँखों को ज्योति
विनय के॰ जोशी
इस कविता को नीलम मिश्रा ने आवाज़ भी दी है, यहाँ सुनें-
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4 पाठकों का कहना है :
जो सूरज आकाश ना उगता
क्या हालत नजरों की होती
दृष्टी देते मात-पिता और
गुरु देते आँखों को ज्योति
" इस सुंदर सी प्यारी सी बाल कविता के लिए आभार...बहूत पसंद आई"
Regards
कथ्य सरस है किन्तु लय भंग हो रही है. गति-यति को संतुलन साधें तो रचना हृद्स्पर्शी हो सकेगी.
बहुत सुंदर प्यारी सी बाल कविता .. बहुत अच्छी लगी।
NEELAM AUNTY ,
AAPNE JO CHAND KI KAVITA SUNAYE
HUME BHUT PASSAND AAI............
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