Wednesday, March 4, 2009

गुरुवे नमः

कहाँ से आते चन्दा मामा
कैसे उगते रात सितारे
फल पेडों पर कैसे लगते
पेड़ खड़े है बिना सहारे
पश्चिम सारा लाल हो गया
काली अंधियारी रात फैली
छोटा सा मन बुझ ना पाता
सब कुछ लगता एक पहेली
विद्यालय में आते जैसे
जादू सारा समझ में आता
सहज सरल उदाहरण देकर
शिक्षक सारे भेद बताता
जो सूरज आकाश ना उगता
क्या हालत नजरों की होती
दृष्टी देते मात-पिता और
गुरु देते आँखों को ज्योति

विनय के॰ जोशी

इस कविता को नीलम मिश्रा ने आवाज़ भी दी है, यहाँ सुनें-





आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)

4 पाठकों का कहना है :

seema gupta का कहना है कि -

जो सूरज आकाश ना उगता
क्या हालत नजरों की होती
दृष्टी देते मात-पिता और
गुरु देते आँखों को ज्योति

" इस सुंदर सी प्यारी सी बाल कविता के लिए आभार...बहूत पसंद आई"

Regards

Divya Narmada का कहना है कि -

कथ्य सरस है किन्तु लय भंग हो रही है. गति-यति को संतुलन साधें तो रचना हृद्स्पर्शी हो सकेगी.

संगीता पुरी का कहना है कि -

बहुत सुंदर प्‍यारी सी बाल कविता .. बहुत अच्‍छी लगी।

harshita का कहना है कि -

NEELAM AUNTY ,
AAPNE JO CHAND KI KAVITA SUNAYE
HUME BHUT PASSAND AAI............

आप क्या कहना चाहेंगे? (post your comment)