दुनिया अजब गजब है ..
दुनिया अजब गजब है ..
क्या आप जानते हैं कि सिनेमाघर में फिल्म शुक्रवार को ही आखिर क्यों बदलती है ?
हम बताते हैं आपको ..शुरू में फिल्म मूक होती थी !आर्देशर ईरानी ने सवाक यानी बोलने वाली फिल्मों की शुरुआत की आलमआरा फ़िल्म बना कर... शायद यह चलती बोलती तस्वीर की दुनिया में यह बहुत बड़ी बात थी यह घटना शुक्रवार को सम्पन्न हुई थी ..अतः सवाक फिल्मों की दिशा में मिली सफलता की याद में आज भी फिल्म शुक्रवार को ही सिनेमाघरों में बदलती है !
अब बताये कि नमस्कार कहते समय अक्सर दोनों हाथ क्यों जोड़े जाते हैं ???
वह इसलिए की देखने वाले को महसूस हो कि हमारे प्रति वह दिल में सम्मान व्यक्त कर रहा है और यह महसूस करने में अच्छा भी लगता है :) अगर सिर्फ़ बोल के नमस्ते कर दी जाए तो लगता है कि यह सिर्फ़ एक दिखावा हो रहा है ..यही हमारी संस्कृति भी है और यही हमे अपने बुजर्गों से मिले अच्छे संस्कार भी :)
क्या आप जानते हैं कि अमेरिका के राष्ट्रपति जान ऍफ़ .कनेडी व्हाइट हॉउस में जिस डोलती कुर्सी पर बैठते थे वह एक नीलामी में ४,४२.५०० डालर की भारी कीमत पर बिकी थी .
आई बैंक एसोशिएशन आफ इंडिया के अनुसार भारत में दान की जाने वाली ९० प्रतिशत आँखे गुजराती और जैन धर्म के लोग दान करते हैं ..
आज इतना ही बाकी अगली बार .सबको नमस्कार हाथ जोड़ के :)

आपको ककड़ी-खाना पसंद है ना! पढ़िए शन्नो आंटी की कविता
सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है। इस मौसम में हम क्या भूत भी ठिठुरने लगते हैं।
क्या आपने कभी सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान की सैर की है? क्या कहा?- नहीं?
कोई बात नहीं, चलिए हम लेकर चलते हैं।
क्या आप जानते हैं- लिखने से आँखें जल्दी नहीं थकती, पढ़ने से थक जाती हैं क्यों?
अपने मिसाइल मैन अब्दुल कलाम के बारे में रोचक बातें जानना चाहेंगे? बहुत आसान है। क्लिक कीजिए।
तस्वीरों में देखिए कि रोहिणी, नई दिल्ली के बच्चों ने गणतंत्र दिवस कैसे मनाया।
आपने बंदर और मगरमच्छ की कहानी सुनी होगी? क्या बोला! आपकी मम्मी ने नहीं सुनाई। कोई प्रॉब्लम नहीं। सीमा आंटी सुना रही हैं, वो भी कविता के रूप में।
एक बार क्या हुआ कि जंगल में एक बंदर ने दुकान खोली। क्या सोच रहे हैं? यही ना कि बंदर ने क्या-क्या बेचा होगा, कैसे-कैसे ग्राहक आये होंगे! हम भी यही सोच रहे हैं।
पहेलियों के साथ दिमागी कसरत करने का मन है? अरे वाह! आप तो बहुत बहुत बहादुर बच्चे निकले। ठीक है फिर बूझिए हमारी पहेलियाँ।
बच्चो,
मातृ दिवस (मदर्स डे) के अवसर हम आपके लिए लेकर आये हैं एक पिटारा, जिसमें माँ से जुड़ी कहानियाँ हैं, कविताएँ हैं, पेंटिंग हैं, और बहुत कुछ-
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8 पाठकों का कहना है :
वह इसलिए की देखने वाले को महसूस हो कि हमारे प्रति वह दिल में सम्मान व्यक्त कर रहा है और यह महसूस करने में अच्छा भी लगता है :यही हमारी संस्कृति भी है और यही हमे अपने बुजर्गों से मिले अच्छे संस्कार भी :)
अगर सिर्फ़ बोल के नमस्ते कर दी जाए तो लगता है कि यह सिर्फ़ एक दिखावा हो रहा है
kshama chaahungi ,lekin uprokat pankti ko is tarah (jaise maine likha )se lkha jaata to shaayad jyaada steek lagata . aapki rochak jaankaari padh kar bada achcha lagata hai , sach isse pahale maine kabhi nahi socha ki har picture friday ko hi kyo release hoti hai......seema sachdev
सुन्दर पाती और उससे भी सुन्दर उसका मजबून ( मजबून ही कहते हैं ना )
फ़्राईडे वाली बात बहुत रोचक..
बधाई
सुन्दर पाती
रोचक और ज्ञान बढाती पाती ।
रंजना जी
बहुत उपयोगी जानकारी दी है आपने। मुझे भी ये नहीं पता था। जानकारी बढ़ाने के लिए धन्यवाद।
बहुत खुब.अच्छा लगा
आपकी जानकारी वाकई अजब गजब है। आशा है आगे भी इसी प्रकार की रोचक जानकारी प्रदान करती रहेंगी।
रंजना जी,
बाल-उद्यान पर उत्तम सामग्री आपकी ही है। बहुत-बहुत बधाई
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