चिंटू-मिंटू
आओ बच्चो, आज हम आपको सुनाएँगे दो भाईयो की कहानी जो बच्चों के साथ लड़ते रहते थे और किसी के दोस्त नहीं बनते थे।
चिंटू-मिंटू
चिंटू-मिंटू जुड़वाँ भाई
एक ही सूरत दोनों ने पाई
करते बच्चों संग लड़ाई
जिससे उनकी माँ तंग आई
पापा उनको बहुत रोकते
पर दोनों ही अकल के मोटे
टीचर भी उनको समझाती
पर दोनों को समझ न आती
किसी न किसी को रोज़ पीटते
और कक्षा में हल्ला करते
सारे उनसे नफ़रत करते
उनकी मार से सारे डरते
बीमार पड़ा था इक दिन चिंटू
गया स्कूल अकेला मिंटू
बच्चों ने तरकीब लगाई
और मिंटू को सबक सिखाई
कोई भी उससे नहीं बोलेगा
बैठेगा वो आज अकेला
न कोई उस संग लंच करेगा
न उसके संग कोई खेलेगा
मिंटू ने थोड़ा समय बिताया
और फिर जब बच्चों को बुलाया
सभी ने उससे मुँह था फेरा
देखता रह गया वो बेचारा
किसी तरह से दिन बिताया
और फिर जब घर वापिस आया
बैठ गया था घर के कोने
लगा था ज़ोर-ज़ोर से रोने
चिंटू बोला क्या हुआ भाई?
किसी ने तुझसे की लड़ाई?
जल्दी से तू कह दे मुझसे
बदला लूँगा अभी मैं उससे
मिंटू बोला न मेरे भाई
बंद करो अब सारी लड़ाई
अब हम नहीं लड़ेंगे किसी से
मिलजुल कर ही रहेंगे सबसे
मिंटू ने सारी बात बताई
चिंटू को भी समझ में आई
दोनों बन गये अच्छे बच्चे
सारे बन गये दोस्त सच्चे
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बच्चो तुम भी मिलकर रहना
कभी न किसी से झगड़ा करना
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- सीमा सचदेव
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5 पाठकों का कहना है :
सही में झगड़ना बहुत बुरी बात है..आपने बच्चों के साथ साथ बडों को भी इस कविता के माध्यम से अच्छी शिक्षा दी है सीमा जी !!
वाह बच्चों को समझाने का अच्छा तरीका
बच्चे सम्न्झ सकेंगे
बच्चों मे प्रेम और भाईचारे की भावना लाने का इससे बेहतर तरीका नही हो सकता बहुत बहुत बधाई सीमाजी
बहुत अच्छी सीख है। बधाई।
चिंटू-मींटू के माध्यम से आप अच्छी सीख दे गईं।
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