Sunday, March 23, 2008

मेंढक की मस्ती



रिम-झिम, रिम-झिम पानी बरसा,


मेंढक नहीं पानी को तरसा,


टर्र, टर्र, टर्र, टर्र, शोर मचाये,


उछले-कूदे नाच दिखाये,



ठंड बड़ी मुश्किल से काटी,


गर्मी नहीं है साथ निभाती,


पानी की बौछार जो आई,


खिल गया मन, पा मन भाता साथी ।





-डा0अनिल चड्डा


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11 पाठकों का कहना है :

anju का कहना है कि -

वाह अनिल जी
मेडंक की मस्ती बखूबी लिखी है आपने
सुंदर बाल कविता

seema sachdeva का कहना है कि -

anil ji aapki choti si kavita bahut pasand aai , mendhak ki masti par maine bhi bachcho ko seekh deti ek kahaani likhi hai , jaldi hi baal-udyaan me bhejungi.....seema sachdev

seema gupta का कहना है कि -

ठंड बड़ी मुश्किल से काटी,


गर्मी नहीं है साथ निभाती,


पानी की बौछार जो आई,


खिल गया मन, पा मन भाता साथी ।
" अच्छी मन को गुदगुदाती पंक्तियाँ "

भूपेन्द्र राघव । Bhupendra Raghav का कहना है कि -

वाह डॉक्टर साहब..

बढिया मैढ़क की मस्ती...
होली के मौके पर..

ठंड बड़ी मुश्किल से काटी,
गर्मी नहीं है साथ निभाती,
पानी की बौछार जो आई,
खिल गया मन, पा मन भाता साथी ।

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

अंजुजी,सीमाजी,भूपेन्द्र्जी एवं सीमा गुप्ता जी,

आप सबको कविता पसन्द आई, उसका धन्यवाद!

रंजू भाटिया का कहना है कि -

सुंदर बाल कविता है यह अनिल जी

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

कविता पसन्द आने का शुक्रिया, रंजुजी ।

Kavi Kulwant का कहना है कि -

bahut khoob chadha Ji.. maza aa gaya..

Dr. Zakir Ali Rajnish का कहना है कि -

मेढक की मस्ती वाकई लाजवाब है।

शैलेश भारतवासी का कहना है कि -

बहुत बढ़िया, अनिल जी

डॉ० अनिल चड्डा का कहना है कि -

कवि कुलवंत, रजनीश एवं शैलेश जी,

मेरा प्रयास आप सभी को पसन्द आया, आभारी हूँ । आगे भी कोशिश करुँगा ।

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