रंग रंगीली होली
रंग रंगीली आई होली
नन्ही गुड़िया माँ से बोली
माँ मुझको पिचकारी ले दो
इक छोटी सी लारी ले दो
रंग-बिरंगे रंग भी ले दो
उन रंगों में पानी भर दो
मैं भी सबको रग डालूँगी
रंगों के संग मज़े करूँगी
मैं तो लारी में बैठूँगी
अन्दर से गुलाल फेंकूँगी
माँ ने गुड़िया को समझाया
और प्यार से यह बतलाया
तुम दूसरो पे रंग फेंकोगी
और अपने ही लिए डरोगी
रँग नहीं मिलते है अच्छे
हुए बीमार जो इससे बच्चे
तो क्या तुमको अच्छा लगेगा
जो तुम सँग कोई न खेलेगा
जाओ तुम बगिया मे जाओ
रंग- बिरंगे फूल ले आओ
बनाएँगे हम फूलों के रन्ग
फिर खेलना तुम सबके संग
रंगों पे खरचोगी पैसे
जोड़े तुमने जैसे तैसे
उसका कोई उपयोग न होगा
उलटे यह नुकसान ही होगा
चलो अनाथालय में जाएँ
भूखे बच्चों को खिलाएँ
आओ उन संग खेले होली
वो भी तेरे है हमजोली
जो उन संग खुशियाँ बाँटोगी
कितना बड़ा उपकार करोगी
भूखा पेट भरोगी उनका
दुनिया में नहीं कोई जिनका
वो भी प्यारे-प्यारे बच्चे
नन्हे से है दिल के सच्चे
अब गुड़िया को समझ में आई
उसने भी तरकीब लगाई
बुलाएगी सारी सखी सहेली
नहीं जाएगी वो अकेली
उसने सब सखियों को बुलाया
और उन्हें भी यह समझाया
सबने मिलके रंग बनाया
बच्चों सँग त्योहार मनाया
भूखों को खाना भी खिलाया
उनका पैसा काम में आया
सबने मिलकर खेली होली
और सारे बन गए हमजोली
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हिन्द-युग्म परिवार, लेखकों व पाठकों सभी को होली की हार्दिक बधाई.....सीमा सचदेव
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8 पाठकों का कहना है :
सीमा जी बहुत खूब
बच्चो को सीख देती कविता
होली पर बच्चो के लिए अति सुंदर कविता
होली की शुभकामनाएं सहित
anju garg
होली पर सुंदर प्रस्तुति, आपको भी बहुत बहुत बधाई
होली पर बच्चों के लिये इससे बेह्तर तोहफ़ा और कया हो सकता था सीमाजी बधाई
होली पर बच्चों के लिये इससे बेह्तर तोहफ़ा और कया हो सकता था सीमाजी बधाई
सीमा जी,
बड़ी ही सुन्दर सार्थक और प्यारी मन-भावन कविता दी है होली के शुभअवसर पर..
बहुत बधाई के पात्र हैं आप..
bahut khoobsurat holi ki baal kavita badhayee..
होली है भई होली है, बडी गजब की होली है।
सीमा जी,
बहुत सुंदर
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