तितली परी
परी मै नन्ही उड़ती हूँ
बादल संग मै तिरती हूँ
पल में यहाँ पल में वहाँ
हवा से बाते करती हूँ ।
दूर सितारों में घर मेरा
परियों का वह देश है मेरा
चांद तारों से पिरो कर
बनता है परिधान मेरा ।
'तितली' परी है मेरा नाम
'रानी' परी ने सौंपा काम
जग में जा कर खूशी बिखेरूँ
हर बच्चे को दूँ मुस्कान ।
बच्चे मुझको भाते हैं
मुझसे हिलमिल जाते हैं
मिल बैठ कर हम सब फिर
हंसते खिलखिलाते हैं ।
जिसको गम है कोई सताता
वह फिर मेरे पास आता
मिठाई, खिलौने भर कर देती
हंसता हंसता वापस जाता ।
दूर गगन में ले कर जाती
आसमाँ की सैर कराती
किसी भी बच्चे की आँखों में
आँसू को मै देख न पाती ।
बच्चों आओ मेरे पास
जादुई छड़ी है मेरी खास
सबकी इच्छा पूरी करती
ख्वाहिश कहो अपनी बिंदास ।
कवि कुलवंत सिंह

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7 पाठकों का कहना है :
kavi kulvant ji , bahut achchi lagi aapki yah kavita , kuch aisa hi bhaav vyakat karati kavita maine bhi likhi aur baal-udyaan me bheji bhi hai ,shaayad kuch dino me publish hogi.....seema
bahut achchi lagi aapki kavita....seema
इस प्यारी सी कविता के लिए बधाई। ये पंक्तियाँ तो बहुत ही प्यारी हैं-
"'तितली' परी है मेरा नाम
'रानी' परी ने सौंपा काम
जग में जा कर खूशी बिखेरूँ
हर बच्चे को दूँ मुस्कान।"
बहुत ही प्यारी कविता,बधाई हो सर जी
आलोक सिंह "साहिल"
दूर गगन में ले कर जाती
आसमाँ की सैर कराती
किसी भी बच्चे की आँखों में
आँसू को मै देख न पाती ।
अति सुंदर कुलवंत जी
एक और आपके द्वारा रचित सुंदर बाल कविता अच्छी लगी !!
आजकल बाल-उद्यान में नित-नित नई नई परियो का पदार्पण देख मन खुश हैं, बहुत परियाँ तितलिया, मछली रानिया आ रहीं है..
स्वागतम.........
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