शेर और कुत्ता
बच्चो, आज तुम्हारी सीमा सचदेव आंटी कविता के रूप में शेर और कुत्ते की कहानी सुना रही हैं।
आओ बच्चो सुनो कहानी
न बादल न इसमें पानी
इक कुत्ता जंगल में रहता
और स्वयं को राजा कहता
मैं सबकी रक्षा करता हूँ
और न किसी से मैं डरता हूँ
बिन मेरे जंगल है अधूरा
असुरक्षित पूरा का पूरा
मुझ पर पूरा बोझ पड़ा है
मेरे कारण हर कोई खड़ा है
मै न रहूँ , न रहेगा जंगल
मुझसे ही जंगल में मंगल
सारे उसकी बातें सुनते
पर सुन कर भी चुप ही रहते
समझे स्वयं को सबसे स्याना
था अन्धों में राजा काना
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पर यह अहम भी कब तक रहता
कब तक कोई यह बातें सुनता
इक दिन टूट गया अहँकार
जंगल में आ गई सरकार
बना शेर जंगल का राजा
खाता-पीता मोटा-ताजा
शेर ने कुत्ते को बुलवाया
और प्यार से यह समझाया
छोड़ दो तुम झूठा अहँकार
और आ जाओ मेरे द्वार
बिन तेरे नहीं जंगल सूना
यह तो फलेगा फिर भी दूना
पर कुत्ते को समझ न आई
उसने अपनी पूँछ हिलाई
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मैं यहाँ पहले से ही रहता
हर कोई मुझको राजा कहता
कौन हो तुम यहाँ नए नवेले
अच्छा यही, वापिस राह ले ले
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ले लिया उसने शेर से पंगा
मच गया अब जंगल में दंगा
भागे यहाँ-वहाँ बौखलाया
खुद को भी कुछ समझ न आया
जो अन्धो में राजा काना
समझता था बस खुद को स्याना
अब तो वही बना नादान
शेर के हाथ में उसकी जान
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छुप कर गया शेर के पास
बोला मैं जानवर हूँ खास
न बदनाम करो अब मुझको
राजा मैं मानूँगा तुझको
बख़्श दो मुझको मेरी जान
नहीं करूँगा मैं अभिमान
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शेर ने कुत्ते को माफ कर दिया
और अपना मन साफ कर दिया
तोड़ा कुत्ते का अभिमान
और बख़्श दी उसको जान
-सीमा सचदेव, बंगलूरु (कर्नाटक
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10 पाठकों का कहना है :
सीमा जी बहुत सुंदर अपने कहानी को बाल कविता के रूप में ढाला है अच्छा लगा पढ़ के !!
बहुत खूब सीमा जी
मज़ा आया पड़कर जंगल की कहानी
जंगल का राजा शेर
बचे खुश होंगे इसे पढ़कर
Sima ji achcha prayaas.. lay acha hai.
ये तो बहुत ही बड़ी कविता है . बच्चे इतनी बड़ी कविता पढ़ते है ????????? ? उन्हें कुछ मजेदार चाहिय जो रोमांचक भी हो .फिर भी अच्छा प्रयाश था ...........भूपेंद्र ....
कविता कहानी लिखने की विधा में आप पारंगत हैं। बहुत प्रसंशनीय..मेरी बिटिता नें बहुत चाव ले कर सुना और खुश हुई।
*** राजीव रंजन प्रसाद
मजेदार कविता है। सीख भी अच्छी है। बधाई।
सचदेव जी आपका भी कोई जोर नहीं है,बेहतरीन
आलोक सिंह "साहिल"
ranju ji, anju ji aapko baal katha pasand aai aur tippani ke liye dhanayvaad, kavi kulvant ji mai samajhati hoo kavita me paryaas nahi hota vo to khud bkhud footati hai ,aapko lay achcha laga aur bhupender ji yah ek kahaani hai jisko gaday me na likh kar paday me likha hai aur agar gaday me likha jaata to arochak aur lambi hoti , bachcho ke liye likha hai to kavita ke roop me jyaada achcha lagata hai.fir bhi aage se likhate samay mai dhayaan rakhungi. aapki tippani ke liye dhanyavaad.....seema sachdev
Rajeev ji mujhe bahut achcha laga ki nanhi-munni bitiya ko kahaani pasand aai aur mera likhana saarthak ho gaya . pyaari si bitiya ko shubhasheesh . mera bhi do saal ka beta hai , poori tarah abhi bol aur samajh bhi nahi sakata ,lekin me jab bhi bachcho ke liye likhati hoo to pahale use sunaati hoo , sun kar khilkhilaane lage to mujhe lagata hai achcha likha hai .he is my judge. aapki tippani ke liye bahut bahut dhanyavaad......seema sachdev
jakir ali ji mujhe khushi hai ki aapko baal-katha pasand aai aur usame maine kya sandesh aur seekh deni chaahi hai ,usako bhi samajha.
bahut -bahut dhanayvaad
saahi ji aapko kavita pasand aai aur saarthak tippani ke liye bahut bahut dhanyavaad
seema sachdev
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