पानी है अनमोल
आज मैं लेकर आई कहानी
इक मेंढक की है नादानी
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एक बाग में था तालाब
सुन्दर सा नहीं कोई जवाब
तरह-तरह के खिले थे फूल
छोटे से तालाब के कूल
वहाँ पे कुछ मेंढक रहते थे
जल में जलक्रीड़ा करते थे
कभी अन्दर कभी बाहर जाते
सब तालाब में खूब नहाते
वहाँ पे पूरी मस्ती करते
नहीं वो कभी किसी से डरते
सारे ही वहाँ खुश रहते
उसे स्वर्ग सा सुन्दर कहते
मेंढक इक उनमें शैतान
बुद्धि में सबसे नादान
करता वो ऐसी शैतानी
जिससे गन्दा हो जाए पानी
पानी में कचरा वो फेंकता
और फिर सबका तमाशा देखता
पत्तों में जाकर छुप जाता
और उन सबको बड़ा सताता
सारे मेंढक दुखी थे उससे
क्या करे समझे वो जिससे
प्यार से उसको सब समझाते
और पानी का मूल्य बताते
न बर्बाद करो तुम पानी
पानी से मिलती जिंदगानी
जो तुम इसको गंदा करोगे
तो फिर जाकर कहाँ रहोगे
जो गंदा पानी पियोगे
तो बीमारी से मरोगे
साफ स्वच्छ होगा जो यह जल
तभी होगा अपना मन निर्मल
पर मेंढक ना समझे बात
सबने मिल सोचा इक रात
नया कोई ढूँढ़ेगे ठिकाना
इस मेंढक को नहीं बताना
चुपके से यहाँ से निकलेंगे
नई जगह पे जाके रहेंगे
निकले छुप-छुपा के सारे
अब वो मेंढक मन में विचारे
अब तो मैं हो गया आज़ाद
करूँगा मैं पानी बर्बाद
नहीं कोई अब उसको रोकेगा
और वो मर्ज़ी से रहेगा
किया तालाब का गंदा पानी
खुश था करके वो शैतानी
पीता था वही गंदा पानी
नहीं थी बात किसी की मानी
इक दिन वो पड़ गया बीमार
चलने फिरने से लाचार
नहीं था वहाँ पे कोई स्वच्छ जल
जिससे हो जाता वह निर्मल
अब मेंढक को समझ में आया
सोच-सोच के बड़ा पछताया
जो मैं सबकी बात समझता
और पानी न गंदा करता
तो मैं यूँ बीमार न होता
पड़ा अकेला कभी न रोता
पर न अब कुछ हो सकता था
वो तो बस अब रो सकता था
अपने किए पे पछता रहा था
भूल पे आँसू बहा रहा था
पर ना कोई था उसके पास
बैठ गया वो हो के उदास
नहीं करूँगा अब शैतानी
और न करूँगा गंदा पानी
पानी तो अमृत का घोल
हर बूँद इसकी अनमोल
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बच्चों तुमको समझ में आई
कभी न करना कोई बुराई
कभी न गन्दा करना पानी
यह तो देता है जिंदगानी
अपील-पानी अनमोल है , इसकी हर बूँद कीमती है |पानी की बचत हमारा धर्म है |
पानी जीवन है , इसकी स्वच्छ्ता और सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है|
द्वारा- सीमा सचदेव
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7 पाठकों का कहना है :
सीमा जी बहुत खूब
आजकल पानी की बदती समस्याओं को आपने जिस तरीके से दर्शाया है
सचमुच बच्चो को अच्छी सीख देगी
अच्छी सीख मिली है
वाह क्या कथा काव्य है मंत्र मुग्ध कर दिया..
देख लेना सीमा जी, आज आपने कविता पोस्ट की है.. 2-3 दिन में देख लेना
मेंढ़क का अब बजेगा फोन..
बोलेगा वो हेल्लो.. कौन ?
एक मैडम की फिर आवाज
हाय! मिस्टर, मैढ़क राज
मैढ़क बोला,बोलो-टर-टर
इसी क्षेत्र के डिस्ट्रीब्यूटर
हम हैं आर.ओ.सिस्टम वाले
आप अगर इसको लगवा लें
पानी को एक दम शुद्ध करता
आठ बाल्टी प्रति घंटे भरता
तीन साल की वारंटी है
इसकी कीमत बहुत घटी है
इंस्टालमेंट मे हम पैसे लेते
साल भर सर्विस फ्री में देते
चुपडी बात में मैढक आया
जल्दी से आर.ओ. लगवाया
बिना प्रमाणिक थी मशीन
बीत ना पाये दिन भी तीन
हो गया आर.ओ.यूँ ही खराब
समझ सके तब मैढ़्क साब
बिना प्रमाणिक चीज़ें लेना
पानी में बस पैसे देना..
Anju ji aapko kaavy katha pasand aai aur saarthak tippani ke liye dhanyavaad .
BHUPENDRA ji aapki tippani padh kar to mere hans hans kar pet me bal pad gaye ....aur lagata hai vo mendhak bahut hi besharm hoga , sach me meri to hansi nahi ruk rahi hai....
Aapki haasya kavita ke liye bahut-bahut dhanyavaad.....seema sachdev
Sima Ji.. flow ke sath achchi kavita..
सीमा जी
सुन्दर शिक्षा कविता के रूप में । बच्चे अवश्य ही लाभ उठाएँगें । साधुवाद
पानी की महत्ता को भलीभांति प्रदर्शित किया गया है।
बधाई।
सीमा जी,
आप बहुत बढ़िया बाल कविताएँ लिखती हैं।
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