बंदर की दुकान (बाल-उपन्यास पद्य/गद्य शैली में)- 12
ग्यारहवें भाग से आगे....
12. बोली लोमड़ी बंदर भाई
खास चीज यहां लेने आई
दे दो राजनीति का गुर
मिले जो राजा के संग सुर
उसकी पी.ए. बन जाऊं खास
भैया मेरा करो विश्वास
पी.ए. बन भी याद रखूँगी
तेरा सारा काम करुँगी
तुम तो सबसे अच्छे भाई
तेरे काम कभी मैं आई
खुद को समझूँगी मैं धन्य
नहीं तुझसा कोई भाई अन्य
समझा बंदर सारी बात
चालाकी लोमड़ी की जात
फ़िर कुछ सोच के बोला बहना
मान ले जो तू मेरा कहना
दो दिन बाद मेरे घर आना
राजनीति का गुर ले जाना
पर सोचा यह मन ही मन
यही गुर तो है उत्तम धन
गुर जो पास मेरे यह होता
खुद न पी.ए. बन जाता
12. लोमड़ी आकर बंदर से कहने लगी- "बंदर भाई! बंदर भाई, मुझे राजनीति का गुर दे दो, जिससे मैं राजा के सुर में सुर मिला सकूं और उसकी खास पी.ए. बन जाऊं। देखना पी.ए. बनकर मैं तेरे किसी काम आ सकी तो स्वयं को धन्य समझूँगी। तुम तो दुनिया के सबसे अच्छे भाई हो।"
बंदर लोमड़ी की चालाकी भरी बातें सब समझ गया और कुछ सोच कर बोला- "तुम दो दिन बाद मेरे घर पर आना और राजनीति का गुर मैं तुम्हें दे दूंगा।"
पर मन ही मन बंदर विचार करने लगा कि यही गुर तो सबसे खास है, जो यह गुर मेरे पास होता तो मैं स्वयं न राजा का पी.ए. बन जाता।
तेरहवाँ भाग
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6 पाठकों का कहना है :
बोली लोमड़ी बंदर भाई
खास चीज यहां लेने आई
दे दो राजनीति का गुर
मिले जो राजा के संग सुर
उसकी पी.ए. बन जाऊं खास
भैया मेरा करो विश्वास
पी.ए. बन भी याद रखूँगी
तेरा सारा काम करुँगी
तुम तो सबसे अच्छे भाई
तेरे काम कभी मैं आई
खुद को समझूँगी मैं धन्य
नहीं तुझसा कोई भाई अन्य
समझा बंदर सारी बात
चालाकी लोमड़ी की जात
फ़िर कुछ सोच के बोला बहना
मान ले जो तू मेरा कहना
दो दिन बाद मेरे घर आना
राजनीति का गुर ले जाना
पर सोचा यह मन ही मन
यही गुर तो है उत्तम धन
गुर जो पास मेरे यह होता
खुद न पी.ए. बन जाता
सीमा जी बहुत बहुत बधाई.
क्या बात है,
बंदर तो लोमडी का भी गुरू निकला,,
Bal upnayas ne mujhe preyrit kar diya.Rajniti ke gur ka intajar hai.13ve ank ka intajar hai.
Badhayi.
abhi se ye kaise kaha jaa sakta hai ki bandar lomdi ka guru nikala ,lomdi to lomdi hi hai ,uska guru bandar ,bandar ke paas itna dimmag hota to dukaan kyon kholta bhala ,???????
:-(
बंधुवर,
सप्रेम नमो नारायण!
Surprised!!
आज आप लोगों के बारे में पढ़ रही हूँ. अच्छा लग रहा है. देख रही हूँ की बंदर और लोमड़ी राजनीती की चालों में फंस रहे हैं और आप लोग अपनी मगजपच्ची करने में लगे हुए हैं. GOOD LUCK!
अपने तो नीलम जी और मनु जी के कहने के अनुसार रामभरोसे ही हैं. पेट की गडबडी के कारण अच्छे-अच्छे माल खाने की वजाय देखती हूँ. लगता है की सबकी दुआओं का उल्टा ही असर
हुआ है. गर्मी-सर्दी की वजह से बुखार से भी लड़ चुकी हूँ. खुर्र-खुर्र खांसती हूँ और गला न ठीक होने के कारण बोलने पर गले से टर्र-टर्र की आवाजें आती हैं. मौसम यहाँ dushman बन baitha है. soona-soona aasmaan taakta rahta है और baadlon को jara भी taras नहीं aa रहा है.
mchchron की इतनी सही है vagavat
unmen ratti भर भी नहीं है sharafat
इन jalladon ने dhaaye हैं इतने kahar
याद aate rahenge मुझे हर pahar
वह sataane की jurrat करते रहे हैं
हम majboor होकर सब sahte रहे हैं
शर्म का पानी aankh में मर chuka है
मुझसे बदला न जाने किस janam का है
हर रात ही यहाँ katle-आम होते रहे हैं
इस वजह से हम badnaam होते रहे हैं.
और मनु जी, darne की कोई बात नहीं है मुझसे, अब आपके dohe की doosri line मैं ही poori करे deti हूँ:
'जो भी milna chahata, मैं तो हूँ taiyaar
soochit करना है मुझे, वह दिन है shanivaar.'
अब vidaa leti हूँ .
'आगे भी जब khuda chaahega
हम yoon ही milte rahenge
baaton के silsile भी हमारे
आगे yoon ही चलते rahenge.'
आपकी अपनी-
ex kaksha-monitor
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